जो पढ़ लेते दिल और दिमाग़ तो रोते कितनों के दिल ज़ार ज़ार।

जो पढ़ लेते दिल और दिमाग़ तो रोते कितनों के दिल ज़ार ज़ार।
किया रहम ‘अता उस ख़ुदा ने, जिसने ये हुनर ना हमें बख़्शा।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
जो पढ़ लेते दिल और दिमाग़ तो रोते कितनों के दिल ज़ार ज़ार।
किया रहम ‘अता उस ख़ुदा ने, जिसने ये हुनर ना हमें बख़्शा।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”