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26 Sep 2020 · 1 min read

ये सब को पता है कि बीमारी फैली है

ये सब को पता है कि बीमारी फैली है
फिर भी बाजार में मारामारी फैली है

ये कैसा निजाम है परिक्षाएं करा रहा है
और पुरे मुल्क में महामारी फैली है

कहते हैं घर घर चलकर रोजगार आएगा
गांव में यही खबर सरकारी फैली है

कल मुशाफिरों कि टोली ठहरी होगी यहां
देखों पेड़ के निचे रोटी तरकारी फैली है

जितने भी किए जांए इंतजाम कम हैं
देश के युनाओं में इतनी बेकारी फैली है

कौन देगा इन मासुम से हाथों में किताब
मेरे समाज के बच्चों में बेगारी फैली है

तनहा खुलकर रखता है राय अपनी
हर गली मोहल्ले में ग़ज़ल हमारी फैली है

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