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9 Mar 2025 · 1 min read

धूप थी छाँव थी,फूलों की भी भरमार थी।

धूप थी छाँव थी,फूलों की भी भरमार थी।
मग़र होठों पर मुस्कान,पहले जैसी ना ख़ास थी।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”

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