बाल कविता

समझदारी
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एक रात को खाना खाकर,
सब घर जब सोया था जोर।
तभी कहीं से छत के ऊपर,
घुस आया एक चिंदी चोर।।
उसने सारा माल समेटा,
जब राजू को आहट आई।
उसेने न तो शोर मचाया,
वन-वन-टू पर कॉल लगाई।।
पुलिस ने आकर चोर दबोचा,
सब घर ने तब खुशी मनाई।
लेकिन घर के सोच रहे थे,
किसने थी यह पुलिस बुलाई।।
तभी दरोगा ने आकर के,
कहा चतुर बेटा है भाई।
आज इसी की समझदारी ने,
तुम सब की है जान बचाई।।