Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2024 · 1 min read

*वो नीला सितारा* ( 14 of 25 )

वो नीला सितारा

नहीं छोडती , कोशिश बिखर क़र ,
लहरों से सीखो ,ज़रा ये हुनर …

बेफिक्र था , माझी दरिया के बीच ,
ना चिंता घर , ना जुनू की डगर …

राहें चुनी , कारवाओं से हट कर,
होगा यकीनन , दगा का असर …

ख्वाबों की , रूहें भटकती तो होंगी ,
मझधार में ,जो – जो ड़ूबा शहर …

उसकी खुशी था , वो नीला सितारा ,
सुबह खो गया , वो भी मगर …

था बेहद जरूरी , विचारों का मनथन
अमृत में ही , मिल गया था ज़हर….

– क्षमा ऊर्मिला

2 Likes · 231 Views
Books from Kshma Urmila
View all

You may also like these posts

3911.💐 *पूर्णिका* 💐
3911.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सूरज क्यों चमकता है?
सूरज क्यों चमकता है?
Nitesh Shah
छोड़ जाऊंगी
छोड़ जाऊंगी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
सहूलियत
सहूलियत
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
दहलीज
दहलीज
Sudhir srivastava
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
gurudeenverma198
पढ़ाई -लिखाई एक स्त्री के जीवन का वह श्रृंगार है,
पढ़ाई -लिखाई एक स्त्री के जीवन का वह श्रृंगार है,
Aarti sirsat
शोर शराबे
शोर शराबे
manjula chauhan
प्रभु श्री राम आयेंगे
प्रभु श्री राम आयेंगे
Santosh kumar Miri
*
*"वो भी क्या दिवाली थी"*
Shashi kala vyas
दोहा पंचक . . . सच-झूठ
दोहा पंचक . . . सच-झूठ
sushil sarna
मन भर बोझ हो मन पर
मन भर बोझ हो मन पर
Atul "Krishn"
कभी-कभी ..
कभी-कभी ..
Madhuri mahakash
मिरे मिसरों को ख़यालात मत समझिएगा,
मिरे मिसरों को ख़यालात मत समझिएगा,
Shwet Kumar Sinha
वो चाहती थी मैं दरिया बन जाऊं,
वो चाहती थी मैं दरिया बन जाऊं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नवगीत : हर बरस आता रहा मौसम का मधुमास
नवगीत : हर बरस आता रहा मौसम का मधुमास
Sushila joshi
करी लाडू
करी लाडू
Ranjeet kumar patre
মা কালীকে নিয়ে লেখা গান
মা কালীকে নিয়ে লেখা গান
Arghyadeep Chakraborty
- प्रकृति ने दिया उपहार करो मत उसका उपहास -
- प्रकृति ने दिया उपहार करो मत उसका उपहास -
bharat gehlot
"ख़ासियत"
Dr. Kishan tandon kranti
जिस ओर उठी अंगुली जगकी
जिस ओर उठी अंगुली जगकी
Priya Maithil
*उधो मन न भये दस बीस*
*उधो मन न भये दस बीस*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जीवन की आपाधापी में देखता हूॅं ,
जीवन की आपाधापी में देखता हूॅं ,
Ajit Kumar "Karn"
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
#पथ-प्रदीप
#पथ-प्रदीप
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*मस्ती बसती है वहॉं, मन बालक का रूप (कुंडलिया)*
*मस्ती बसती है वहॉं, मन बालक का रूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
नूतन वर्षाभिनन्दन 2025
नूतन वर्षाभिनन्दन 2025
Tarun Singh Pawar
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
मौत पर तो यक़ीन है लेकिन ।
मौत पर तो यक़ीन है लेकिन ।
Dr fauzia Naseem shad
बाहर-भीतर
बाहर-भीतर
Dhirendra Singh
Loading...