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9 Mar 2024 · 1 min read

अभिमानी सागर कहे, नदिया उसकी धार।

अभिमानी सागर कहे, नदिया उसकी धार।
पर जाने पगला नहीं, नारी का इक प्यार।।
अपने को देती मिटा, मां है जिसका नाम
सागर की हर मौज में, बूँद-बूँद का सार।।

सूर्यकांत द्विवेदी

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