जरूरतों से जरूरतन दाँव लगाता हूँ मैं जरूरतों से जरूरतन दाँव लगाता हूँ मैं एवज में खुशियां, घर, गाँव लगाता हूँ मैं -सिद्धार्थ गोरखपुरी