भरोसा मुक़द्दर से ज़ियादा जब ख़ुद पे हो जाए।

भरोसा मुक़द्दर से ज़ियादा जब ख़ुद पे हो जाए।
किनारा ख़ुद-बा-ख़ुद आ कर माझी से लिपट जाए।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
भरोसा मुक़द्दर से ज़ियादा जब ख़ुद पे हो जाए।
किनारा ख़ुद-बा-ख़ुद आ कर माझी से लिपट जाए।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”