विक्रम सिंह 48 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विक्रम सिंह 26 Mar 2025 · 1 min read अलविदा स्कूल ऐ स्कूल, चलो हम तुझे अलविदा कहते हैं जो दिया तुने हमें उसका शुक्रिया अदा करते हैं। संभाला हमें, इस काबिल बनाया कक्षा छठी से बारहवीं तक पढ़ाया वो मैस... Hindi · कविता 2 37 Share विक्रम सिंह 26 Mar 2025 · 1 min read यादों का सफर कल हम होंगें या नहीं होंगें यादें दिलों में हमेशा रहे कुछ काम ऐसा हम कर जाएं दुनिया में नाम हमेशा रहे। जो सांसें मिली इस जीवन में चलो कर्ज... Hindi · कविता 2 36 Share विक्रम सिंह 23 Mar 2025 · 1 min read शहीदी दिवस हर तरफ थी शोक की लहरें चहुँ ओर अंधेरा छाया था। पढ़ रहे थे किताब लेनिन की जब फांसी के लिए बुलवाया था। तेईस साल के नौजवान भगत से अंग्रेजों... Hindi · कविता 2 47 Share विक्रम सिंह 23 Mar 2025 · 1 min read भारत माँ के लाल भारत माँ के लाल लाडले वो सबकी आँख के तारे थे देश ही सबकुछ था उनका आजादी के चाहने वाले थे। देश बने जिसमें हो समता विचार देश में फैलाया... Hindi · कविता 1 43 Share विक्रम सिंह 21 Mar 2025 · 1 min read हार और जीत न हार से डर न जीत से प्रोत्साहित हो ये जीवन है उतार चढ़ाव से भरा हुआ कभी मिली है जीत तुझे तो कभी हार का सामना कर मत डर... Hindi · कविता 2 50 Share विक्रम सिंह 18 Mar 2025 · 1 min read आदमी का सफर नाम था उसका आदि मानव रहता जंगलों में खाता वो कंदमूल था गुफाओं में बनाया उसने घर अपना कर शिकार खाता उनको कच्चा ही था। ना घर था, ना कोई... Hindi · कविता 2 61 Share विक्रम सिंह 14 Mar 2025 · 1 min read फागुन आयो रे फागुन आयो रे, हो फागुन आयो रे रंगा रो त्योहार लायो रे फागुन आयो रे, हो फागुन आयो रे। गुलाल उड़े संग उड़े रे मन म्हारो पिचकारी रो रंग बदले... Hindi · गीत 1 58 Share विक्रम सिंह 13 Mar 2025 · 1 min read होली रंग उड़े, उड़े रे गुलाल होली आई डालो रंग लाल रंग उड़े, उड़े रे गुलाल ....... भीगे सखी संग झूमे बहार रंग सजा हर गली-बाजार गूंजे गीत गाए होली हो... Hindi · कविता 2 66 Share विक्रम सिंह 12 Mar 2025 · 1 min read नई सोच जमाना खुद नहीं बदलता बदलता है उनसे जो रखते है दम उसे बदलने का लड़ने का जमाने से अकेले चलने का। उन्ही के दम पे बदलता है जमाना नई दुनिया,... Hindi · कविता 3 49 Share विक्रम सिंह 8 Mar 2025 · 1 min read नारी नारी तू सृजनहारी है तेरे दम पे ही तो दुनिया है सारी क्यों नहीं समझ पाया आदमी उसकी भी तो है तू पालनहारी। तू है तो जीवन, जीवन है लगता... Hindi · कविता 2 56 Share विक्रम सिंह 6 Mar 2025 · 1 min read मजदूर की दास्तान घर में दाने को तरसते बच्चे अपने मम्मी पापा की तरफ रहे थे ताड़ पापा ने कहा, घर में जो चावल है उनको उबालकर खिलाओ मैं आता हूं शहर जाकर... Hindi · कविता 2 1 62 Share विक्रम सिंह 6 Mar 2025 · 1 min read भारत जब नाम आता जुबां पर भारत मेरा रोंया रोंया जाग उठता राष्ट्र भक्ति होती सातवें आसमान पर हाथ सम्मान में उसके सलामी को उठता। भारत, केवल एक शब्द नहीं लाखों... Hindi · कविता 2 49 Share विक्रम सिंह 2 Mar 2025 · 1 min read राज की बात मेरे अजीज मित्र मेरे पास आए थोड़े से बेचैन थोड़े व्याकुल पाए। आते ही पास मेरे बोले जानते हो राज की बात बताएं क्या मुझे सबसे अच्छा मित्र मानते हो।... Hindi · कविता 2 66 Share विक्रम सिंह 2 Mar 2025 · 1 min read खेलों का आगाज चांदी सी बिखरी चांदनी में तारों ने आसमान सजाया है कर मुक्कमल जीत अपनी खेलों का आगाज हो आया है। एक अरब भारत की जनता रही बढ़ा हौसला तेरा चमक... Hindi · कविता 2 50 Share विक्रम सिंह 1 Mar 2025 · 1 min read खेलों का महत्व ले मशालें आगे बढ़ खेलों में इतिहास गढ़। कुश्ती, कबड्डी, हाॅकी खेल या क्रिकेट, बाॅक्सिंग, जुडो खेल। जीवन रहेगा स्वस्थ तेरा सम्मान मिले इसमें बहुतेरा। रोशन होगा जगत में नाम... Hindi · कविता 2 43 Share विक्रम सिंह 27 Feb 2025 · 1 min read युद्ध युद्ध का तांडव जब शुरू हुआ धरती का सीना कांप उठा खून सना हर मिट्टी में माँ का ह्रदय चीत्कार उठा। बम गोलों की बोछारों में जन मानस कितना हलाल... Hindi · कविता 2 68 Share विक्रम सिंह 26 Feb 2025 · 1 min read मैं शिक्षक हूँ मैं शिक्षक हूँ शिक्षा देना मेरा धर्म है और यही मेरा कर्म है। देश की भावी पीढ़ी को तैयार करना उसको सही राह पर चलना सीखाना कितना मुश्किल है। सबकी... Hindi · कविता 2 59 Share विक्रम सिंह 22 Feb 2025 · 1 min read काॅमर्स विषय काॅमर्स विषय है अजब निराला गजब है इसकी बात डेबिट क्रेडिट करते करते बन जाते वित्त के ज्ञात। जर्नल प्रविष्टि का काम खत्म तो लेजर की पोस्टिंग शुरू हुई रेवेन्यू... Hindi · कविता 2 1 117 Share विक्रम सिंह 22 Feb 2025 · 1 min read मुसाफिर ओ मुसाफिर जाग जा अब तो सुबह हो आयी है। चिड़िया लगी चहकने को सूरज की किरणें भी छाई है।। तुझे बुलाती मंजिल तेरी कब तक सोया रहेगा तू। हवा... Hindi · कविता 2 59 Share विक्रम सिंह 21 Feb 2025 · 1 min read राहें राहें खुली है सबके लिए कोई चल कर मंजिल तक पहुँच जाता है तो कोई रास्ता भटक जाता है। ये राहें ही तो पहुंचाती है उन मंजिलों तक जिन्हें पाना... Hindi · कविता 2 59 Share विक्रम सिंह 15 Feb 2025 · 1 min read खुद पर यकीन हारने के कारण अनेक पर जीतने को एक जुनून ही काफी है। राहों में गिरते रहे हम बार-बार पर संभलने की एक जिद ही काफी है। अंधेरा जीवन में छा... Hindi · कविता 2 56 Share विक्रम सिंह 14 Feb 2025 · 1 min read जिंदगी एक रोज मुलाकात जिंदगी से हुई तो कई सवाल लिए जिंदगी से पूछा ऐ जिंदगी तुम इतनी हसीन क्यों हो हर दिन जिऊँ तुझे फिर भी क्यों इतना सताती हो... Hindi · कविता 2 55 Share विक्रम सिंह 14 Feb 2025 · 1 min read सुबह की किरणें उठो जागो अब सुबह हो गई देखो सूरज भी चढ़ आया। लिए लालिमा चिढ़ा रहा कि उठो सवेरा हो आया।। चिड़ियाॅं भी लगी चहकने को भवरों ने गुन-गुन गान सुनाया।... Hindi · कविता 2 43 Share विक्रम सिंह 14 Feb 2025 · 1 min read हम छात्र हैं नवोदय के छठी में पढ़ने आए थे हम बारहवीं पास कर जाएंगे ये विद्यालय हमारा जीवन है हर कठिनाई से लड़ जाएंगे। जब निकलेंगें इस विद्यालय से ज्ञान की रोशनी फैलाएंगे गुरुओं... Hindi · कविता 3 55 Share विक्रम सिंह 13 Feb 2025 · 1 min read परीक्षा परीक्षा परीक्षा परीक्षा क्या है ये परीक्षा कब आएगी परीक्षा जब आएगी तो संग अपने ढ़ेरों तनाव लेकर आएगी। तनाव से दो चार होते पढ़ने की हम कोशिश करते पेज... Hindi · कविता 2 74 Share विक्रम सिंह 13 Feb 2025 · 1 min read स्कूल का पहला दिन स्कूल का पहला दिन बड़ा बोझिल सा लगा मन में कई सवाल लिए विद्यालय में प्रवेश किए। हर तरफ थी शोर की आवाजें तभी मूंछ वाले अध्यापक गरजे डर से... Hindi · कविता 2 44 Share विक्रम सिंह 23 Jan 2025 · 1 min read सफलता बनना है कुछ जीवन में ये सपना है मेरा पर कैसे बनूँ? मेहनत करूँ, दिनरात पढूं आगे बढूं। चाहे कितनी रुकावट आए लोग हंसें, ताने कसें सपनों का मजाक बनाएं... Hindi · कविता 3 57 Share विक्रम सिंह 22 Jan 2025 · 1 min read फिर चुनाव है आए एक बार फिर चुनाव है आए मतदाताओं के मन में आशा जगाए फिर कोई नई सरकार बनेगी लोगों की बदहाली दूर करेगी मतदाता भी उत्साहित है नेता भी प्रोत्साहित है।... Hindi · कविता 2 73 Share विक्रम सिंह 19 Jan 2025 · 1 min read मैं तो एक मुसाफिर हूँ मैं तो एक मुसाफिर हूँ आया हूँ घूमनें को जीवन एक पहेली है आया हूँ खोजने को। जीवन का ये सफर कट जाएगा ऐसे ही मिलके गले दोस्तों से आगे... Hindi · कविता 3 66 Share विक्रम सिंह 19 Jan 2025 · 1 min read हर रोज सुबह तैयार होकर हर रोज सुबह तैयार होकर निकलते हैं अपने काम पर सपनों को सच करने मन में नयी उमंग भरे आगे बढ़ने की ठान कर निकलते हैं अपने काम पर। दिन... Hindi · कविता 2 69 Share विक्रम सिंह 19 Jan 2025 · 1 min read प्यारी सी बेटी नन्ही प्यारी सी बेटी हर रोज दरवाजे पर राह देखती पापा के घर आने की खुशी सबके साथ बांटती खिलखिलाती मुसकुराती सबका मन बहलाती। पर पापा से कुछ नहीं चाहती... Hindi · कविता 2 72 Share विक्रम सिंह 17 Jan 2025 · 1 min read दुश्मन दुनियाँ में दुश्मन हजार पर झगड़ा किसी से नहीं कभी हक की बात की कभी सच बोलकर देखा किसी की सच्ची गवाही दी किसी को अच्छी सलाह दी सब दुश्मन... Hindi · कविता 4 2 144 Share विक्रम सिंह 14 Jan 2025 · 1 min read मेरा देश बड़ा अलबेला मेरा देश बड़ा अलबेला यहाँ हरदम लगता मेला होता बैलों का खेला मेरा देश बड़ा अलबेला। यहाँ भांत-भांत की भाषा अलग धर्म है, अलग है जाति अलग- अलग अभिलाषा अलग... Hindi · कविता 3 1 88 Share विक्रम सिंह 13 Jan 2025 · 1 min read साइकिल बिन पानी बिन तेल है चलती ना कोई धुआँ प्रदूषण करती मोटर कार से सस्ती पड़ती हाॅर्न नहीं बस घंटी बजती। पैरों की ताकत से दौड़े हर एक दिल में... Hindi · कविता 2 106 Share विक्रम सिंह 9 Jan 2025 · 1 min read माॅं माॅं, माँ होती है कभी प्यार का सागर लुटाती कभी ममता की मूरत बन जाती माॅं, माँ होती है जो हर कदम पर हमारी ढ़ाल बन जाती है। कभी वो... Hindi · कविता 3 66 Share विक्रम सिंह 9 Jan 2025 · 1 min read सपनें सपने हजार होते हैं कुछ अच्छे होते हैं तो कुछ बुरे होते हैं कुछ खट्टे होते हैं तो कुछ मीठे होते हैं कुछ डरावने होते हैं भूतों की परछाई बन... Hindi · कविता 3 64 Share विक्रम सिंह 6 Jan 2025 · 1 min read चमकती चाॅंदनी आसमाॅं की तरफ देखा तो चाॅंद बिखेरता अपनी चाॅंदनी उजली उजली चमकती बिजली सी कभी धूप सी खिली खिली खिलखिलाती कल्पनाओं के शिखर पर कवियों की प्रेम कविताओं का तराना... Hindi · कविता 4 2 124 Share विक्रम सिंह 5 Jan 2025 · 1 min read किताबें देखो किताबें बोलती हैं। सुनाती कहानी कभी कविता गुनगुनाती बीते दिनों की वो याद दिलाती बिखरे हुए पन्नो पर है ये शब्दों का खेल कभी रामू की गुड़िया कभी छुक-छुक... Hindi · कविता 3 185 Share विक्रम सिंह 5 Jan 2025 · 1 min read बेढंगें लोग देश के एक कोने में एक सुन्दर सा था गाँव बसा प्रगति के पथ पर बढ़ रहा था नित नए इतिहास गढ़ रहा था फिर एक परिवर्तन आया लहरों का... Hindi · कविता 3 127 Share विक्रम सिंह 31 Dec 2024 · 1 min read नया साल आने वाला है नई उम्मीदें, नई उमंगें नए इरादे, नई तरंगें लेकर आने वाला है ये साल जाने वाला है नया साल आने वाला है। सब खुशियाँ भर दे जीवन में रंगों को... Hindi · कविता 3 135 Share विक्रम सिंह 30 Dec 2024 · 1 min read मंजिल राहें कितनी भी मुश्किल हो फिर भी मंजिल को पाना है। हौसलो के चिरागों को जलाकर आगे बढते जाना है। रुकावट तो आती है आएगी ही, पर हर रुकावट को... Hindi · कविता 4 1 138 Share विक्रम सिंह 30 Dec 2024 · 1 min read कटते पेड़ हर दिन देखो है पेड़ कटे हर गाँव से देखो रोड़ सटे कह रहे कि उन्नति हो रही हर तरफ बीमारी बो रही उठती वो धुएँ की लहरें देते वो... Hindi · कविता 3 151 Share विक्रम सिंह 24 Dec 2024 · 1 min read चाॅंद पे भी तो दाग है ऐ चाॅंद, तेरे चेहरे पर भी तो दाग है क्यों गुमान है इतना अपनी चाॅंदनी पर वो भी तो आती, एक अमावस्या की रात के बाद है। अन्धेरी रातों की... Hindi · कविता 3 176 Share विक्रम सिंह 24 Dec 2024 · 1 min read किसान बैलों को हांकता, हल चलाता अध नंगे बदन तपती गर्मी में धरती का सीना चीर रहा, एक आस लगाए कुछ सपने संजोए दिन रात पसीना बहा रहा। ट्रैक्टर के पीछे... Hindi · कविता 4 121 Share विक्रम सिंह 18 Aug 2024 · 5 min read वैज्ञानिक प्रबंधन की कहानी एक बार उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के एक छोटे से गांव में एक व्यक्ति रहता था। उसका नाम रामचरण था। उसके माता-पिता बहुत गरीब थे। उन्होंने अपने बच्चे को... Hindi · कहानी 3 116 Share विक्रम सिंह 10 Sep 2022 · 1 min read Partnership Deed Once there were two friends. Both of them thought of starting a business. One had money, the other had managerial skills. Together they started a clothing business. At the end... English · Story 3 213 Share विक्रम सिंह 23 Jul 2021 · 1 min read ना इस पार के ना उस पार के इस पार की सोचूं या उस पार की लड़ाई इधर भी है, संघर्ष उधर भी है मानते नहीं है हमें इधर वाले तो जानते नहीं है हमें उधर वाले उधर... Hindi · कविता 4 313 Share विक्रम सिंह 28 Nov 2019 · 1 min read मैं कविता लिखना सीख रहा हूँ मैं कविता लिखना सीख रहा हूँ। मैं सीख रहा हूँ कैसी कविता लिखनी है मुझे? मैं सीख रहा हूँ जिससे नाम हो बड़े कवियों में मेरा। कोई पुरुष्कार मुझे भी... Hindi · कविता 4 1 308 Share