प्यारी सी बेटी
नन्ही प्यारी सी बेटी
हर रोज दरवाजे पर राह देखती
पापा के घर आने की खुशी
सबके साथ बांटती
खिलखिलाती मुस्कराती
सबका मन बहलाती।
पर पापा से कुछ नहीं चाहती
पापा की गोदी चढ़ जाती
हाथ पकड़ अन्दर तक लाती
पूरे दिन की बातें बतलाती
पापा की खुशी में खुश हो जाती
घर के काम में हाथ बंटाती।
बेटी घर की रौनक बनकर
फूलों सा घर को महकाती
बेटी घर में ना हो तो
आंगन की शोभा ना बढ़ पाती
पढ़ लिख कर बेटी पिता के
सपनों को साकार है करती