“अकेले का साथी होगा “

करले तू चाहे जितनी होशियारियां ना तू कामयाब होगा।
मंजिल तो होगी सामने मगर कदमों से तू लाचार होगा।।
झूठ और धोखे का जीवन में तू जो कभी सहारा लेगा।
उसी दिन से तू अपने लिए बर्बादियों को न्योता देगा।।
लगने लगेगा तुझको तू बुलंदियों को छू रहा है।
पर धीरे-धीरे तेरे अंदर का इंसान मर रहा होगा।।
सब सामान कीमती तो तेरे घर में सुसज्जित होगा।
पर सुकून तेरी आत्मा का कहीं दूर जाकर बैठा होगा।।
झूठी शान के लिए जो तूने लोगों का इस्तेमाल किया होगा।
आत्मा में अब तेरी ग्लानि के शूलों का गहरा घाव होगा।।
रातों की नींद ना अब दिन का चैन तुझे नसीब होगा।
होगी तो भीड़ लोगों की मगर तू अकेला का साथी होगा।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
✍️✍️21/2/2025