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20 Jan 2025 · 1 min read

लेकर आस

गीतिका
~~~~
जीवन तो चलता रहता है, हर हालत में लेकर आस।
बहुत सताती है मानव को, कभी भूख और कभी प्यास।

मुश्किल के पल भारी पड़ते, जब भी बढ़ जाते हैं कष्ट।
साथ छोड़ जाते हैं साथी, रहते मगर नहीं क्यों पास।

जिनके पास नहीं होता कुछ, संघर्षों में रहते खूब।
थोड़े से साधन मिल जाते, लोग आम भी बनते खास।

शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर, करना हमें बहुत है कार्य।
देश बढ़ा करता है आगे, जब सबका हो सतत विकास।

हजम हुआ करता इनको सब, लोहा काष्ठ और सीमेंट।
ऐसे नेताओं से बचिए, सत्ता की चरते जो घास।

काम सभी के आते आते, बन जाता है व्यक्ति महान।
अपनी चिंता छोड़ हमेशा, जनसेवा आती जब रास।

ठोकर लग जाती है लेकिन, अल्प नहीं होता उत्साह।
उठकर फिर से मंजिल पाते, बिल्कुल होते नहीं उदास।
~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

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