हर रोज सुबह तैयार होकर
हर रोज सुबह तैयार होकर
निकलते हैं अपने काम पर
सपनों को सच करने
मन में नयी उमंग भरे
आगे बढ़ने की ठान कर
निकलते हैं अपने काम पर।
दिन भर मेहनत से जूझते
कुछ अच्छा करने की सोचते
कुछ थके-थके से काम से बचके
नए बहाने खोजते
इन्ही बहानों से बचकर
निकलते हैं अपने काम पर।
बाॅस हमेशा करते ऑर्डर
काम समय पर खत्म करो
थकान हुई तो चाय की चुस्की
दोपहर का भोजन घर पे करो
फिर बाॅस का ऑर्डर मानकर
निकलते हैं अपने काम पर
शाम ढले जब लौटे घर को
घर भी काम ऑफिस का होता
बचने की हम कोशिश करते
कभी फोन कभी पत्र मिलता
इन सब चीजों को जानकर
निकलते हैं अपने काम पर