Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2025 · 1 min read

हर रोज सुबह तैयार होकर

हर रोज सुबह तैयार होकर
निकलते हैं अपने काम पर
सपनों को सच करने
मन में नयी उमंग भरे
आगे बढ़ने की ठान कर
निकलते हैं अपने काम पर।

दिन भर मेहनत से जूझते
कुछ अच्छा करने की सोचते
कुछ थके-थके से काम से बचके
नए बहाने खोजते
इन्ही बहानों से बचकर
निकलते हैं अपने काम पर।

बाॅस हमेशा करते ऑर्डर
काम समय पर खत्म करो
थकान हुई तो चाय की चुस्की
दोपहर का भोजन घर पे करो
फिर बाॅस का ऑर्डर मानकर
निकलते हैं अपने काम पर

शाम ढले जब लौटे घर को
घर भी काम ऑफिस का होता
बचने की हम कोशिश करते
कभी फोन कभी पत्र मिलता
इन सब चीजों को जानकर
निकलते हैं अपने काम पर

Language: Hindi
2 Likes · 63 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from विक्रम सिंह
View all

You may also like these posts

गाय पर कविता
गाय पर कविता
Vijay kumar Pandey
हमारे रक्षक
हमारे रक्षक
करन ''केसरा''
एक झलक मिलती
एक झलक मिलती
Mahender Singh
माँ
माँ
Sumangal Singh Sikarwar
महीनों और सालों की कोशिश से, उसकी यादों से निकल पाते हैं हम,
महीनों और सालों की कोशिश से, उसकी यादों से निकल पाते हैं हम,
Shikha Mishra
बेटियाँ
बेटियाँ
Shweta Soni
गुजर गई कैसे यह जिंदगी, हुआ नहीं कुछ अहसास हमको
गुजर गई कैसे यह जिंदगी, हुआ नहीं कुछ अहसास हमको
gurudeenverma198
भक्ति गीत
भक्ति गीत
Arghyadeep Chakraborty
2896.*पूर्णिका*
2896.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"कुटुंब विखंडन"
राकेश चौरसिया
बरगद भीतर घुस गया, दीवारों को तोड़
बरगद भीतर घुस गया, दीवारों को तोड़
RAMESH SHARMA
"विद्युत बल्ब"
Dr. Kishan tandon kranti
"इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll
पूर्वार्थ
प्यास की आश
प्यास की आश
Gajanand Digoniya jigyasu
कश्मीरी पण्डितों की रक्षा में कुर्बान हुए गुरु तेगबहादुर
कश्मीरी पण्डितों की रक्षा में कुर्बान हुए गुरु तेगबहादुर
कवि रमेशराज
गांव की भोर
गांव की भोर
Mukesh Kumar Rishi Verma
मुझे स्वीकार कर लो
मुझे स्वीकार कर लो
ललकार भारद्वाज
महिला दिवस विशेष दोहे
महिला दिवस विशेष दोहे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
ना मै अंधी दौड़ में हूं, न प्रतियोगी प्रतिद्वंदी हूं।
ना मै अंधी दौड़ में हूं, न प्रतियोगी प्रतिद्वंदी हूं।
Sanjay ' शून्य'
राम गीत 2.0
राम गीत 2.0
Abhishek Soni
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
Basant Bhagawan Roy
💐यू लूजर फॉरएवर💐
💐यू लूजर फॉरएवर💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*यह तो बात सही है सबको, जग से जाना होता है (हिंदी गजल)*
*यह तो बात सही है सबको, जग से जाना होता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
वर्तमान
वर्तमान
Kshma Urmila
लंबा क़ानून
लंबा क़ानून
Dr. Rajeev Jain
जीवन
जीवन
लक्ष्मी सिंह
"हाल ए ओश"
ओसमणी साहू 'ओश'
।। आरती श्री सत्यनारायण जी की।।
।। आरती श्री सत्यनारायण जी की।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
■ध्यान रखना■
■ध्यान रखना■
*प्रणय प्रभात*
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...
Ajit Kumar "Karn"
Loading...