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27 Jun 2025 · 1 min read

रथ चला वृन्दावन पथ पर

🌸 रथ चला वृंदावन पथ पर 🌸

कृष्ण दीवानी राधा आई,
प्रेम-सरोवर लहराया,
कुरुक्षेत्र की रज में फिर से,
रास अनुराग समाया।
वीणा की मधुरिमा गूंजे,
नभ में राग उठे प्यारे,
विरह-वेदना हर ली कान्हा,
मिलन भाव से न्यारे।

स्नेहिल नयन पुकार उठे,
वृंदावन को फिर आओ,
राधा बोली—”प्रियतम मोहन,
गोपियों संग मुस्काओ!”
श्याम ने मन में ठान लिया,
प्रेम-पंथ को अपनाया,
बलराम-सुभद्रा संग लेकर,
ब्रज धाम द्वार पहुँचाया।

उल्लास बसा गलियों में,
हर द्वारे मंगल छाया,
बिरहिन गोपियाँ गा उठीं,
राधा ने रास रचाया।
रथ सजा फूलों की महक से,
प्रेम-पंक्ति वह सजी,
वृंदावनवासियों ने खींचा,
अश्वों की कर छुट्टी।

जय-जयकारें गूंज उठीं,
“जय नाथ” हर मुख बोले,
हर दिशा में प्रेम बरसता,
जैसे साक्षात प्रभु डोले।
गूँजी ब्रज से पुरी तक फिर,
यह अनुपम रथ-यात्रा,
जय नाथ बने जगन्नाथ,
प्रेम बना सुख जात्रा।

आज भी जब है रथ निकलता,
भावों का सागर बहता,
भक्तों को वह दर्शन देते,
कृपा का दीपक चिर जलता।
राधा-कृष्ण की इस लीला को,
युग-युग नमन करें,
रथ चला वृंदावन पथ पर,
प्रभु चरणों में नयन धरें।

-देवेंद्र प्रताप वर्मा ‘विनीत’

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