माॅं
माॅं, माँ होती है
कभी प्यार का सागर लुटाती
कभी ममता की मूरत बन जाती
माॅं, माँ होती है
जो हर कदम पर हमारी
ढ़ाल बन जाती है।
कभी वो हमको हंसाती
कभी उत्साह बढ़ाती
माॅं, माँ होती है
जो मरते दम तक
हम पर जान लुटाती है।
वो कभी गुस्सा हो हमसे रुठ जाती
और पल भर में हमें गले से लगाती
माॅं, माँ होती है
जो खुद गीले में सोकर
हमें सुखे में सुलाती है।
वो हर दर्द सह जाती
कभी प्रेरणा, कभी सखा बन जाती
माॅं, माँ होती है
जो अपने सपने भुला
हमारे सपनों को जी जाती है।