साइकिल
बिन पानी बिन तेल है चलती
ना कोई धुआँ प्रदूषण करती
मोटर कार से सस्ती पड़ती
हाॅर्न नहीं बस घंटी बजती।
पैरों की ताकत से दौड़े
हर एक दिल में छाप ये छोड़े
भले पड़े हो सड़क पे रोड़े
फिर भी सरपट चलती दौड़े।
ना सर्विस का चक्कर कोई
पैडल मार के सरपट होई
गरीब चले तो मंजिल पाई
अमीर चले तो कसरत होई।
डंडा काठी तीन सवारी
मोटर कार पर पड़ती भारी
दुनिया चले साइकिल पे सारी
फिट इंडिया की करो तैयारी।
देश अगर बदले जीवन को
बिन खर्चे शुरू करे चलन को
कम दूरी पर जाना हो तो
साइकिल चढ़ो सफर करने को।