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9 Feb 2025 · 2 min read

मोनालिसा

ये विचित्र दुनिया है। यहाँ खूबसूरती भी जी का जंजाल बन जाती है। प्राचीन भारत में आम्रपाली के साथ भी वही हुआ था, जो प्रयागराज के कुम्भ मेले में मोनालिसा के साथ हुआ। इण्टरनेट सेंसेशन बन चुकी मोनालिसा भोसले की इस प्रसिद्धि ने उससे वो सब छीन लिया, जो वह कुम्भ में करने गई थी। इससे परेशान होकर उसके पिता ने उसे मूल निवास स्थान इंदौर भेज दिया। वजह यह कि वह अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर बहुत चिन्ता में थे।

दरअसल मोनालिसा राजस्थान की घुमन्तू जाति पारदी समुदाय से है, जो महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत देश के कई हिस्सों में जाकर बस गए हैं। नीली खूबसूरत आँखों, लम्बे बाल और अल्हड़ मुस्कुराहट वाली मोनालिसा यूँ तो प्रयागराज कुम्भ मेले में माला बेच रही थी, लेकिन वह अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के चलते रातों-रात इण्टरनेट की स्टार बन गई। अब यही खूबसूरती उसके लिए परेशानी का सबब बन चुकी है।

मोनालिसा को यू-ट्यूबरों ने इतना परेशान किया कि उन्हें और उनके परिवार को उसकी सुरक्षा की चिन्ता सताने लगी। कुछ लोगों ने उसके साथ बदसलूकी भी की, जिसका कुछ वीडियो सामने भी आ चुका है। उस वीडियो को देखकर मन में सवाल उठता है कि 21वीं सदी के सूरज तले भी क्या प्रसिद्धि इतनी घातक हो सकती है? यह गम्भीर विचारणीय प्रश्न है। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

इतिहास गवाह है कि आम्रपाली की खूबसूरती ने उसे वेश्या बनने पर मजबूर कर दिया था। जब वैशाली की संसद ने उसे सर्व सम्मति से ‘नगरवधू’ घोषित कर दिया। फिर उसे ‘जनपद कल्याणी’ की उपाधि दे दी गई। नगरवधू बनने के बाद उसे हर कोई पाने के लिए स्वतंत्र था। वस्तुतः इतिहास के हर दौर में खूबसूरत स्त्रियाँ सर्वाधिक दमन और उत्पीड़न का शिकार रही हैं। वे लाख प्रयास के बावजूद सामान्य जीवन यापन करने में असफल रही हैं।

वायरल हो रहे वीडियो में मोनालिसा लाल सूट में दिख रही थी। उसके चारों तरफ से लोगों की भीड़ उसके पास आने की कोशिश कर रही थी। वहीं मोनालिसा को उनके साथ की लड़कियाँ और लड़के उनके चेहरे को ढँक कर बचाने की कोशिश कर रहे थे। वे सब भीड़ के रूप में झूठ बोलकर येन-केन-प्रकारेण उनकी सेल्फी लेने के फिराक में थे। लेकिन इस भगदड़ में उनके साथ कुछ भी घटना घट सकती थी।

ऐसा लगता है कि महान चित्रकार लियोनार्दो दा विंची की मोनालिसा की तस्वीर इसी मोनालिसा भोसले की है, जिनका आज सारा जमाना दीवाना है। लेकिन जान की कीमत से बढ़कर और कुछ नहीं। सरकार को उनकी सुरक्षा का समुचित प्रबन्ध करना चाहिए।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
साहित्य और लेखन के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।

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