खेलों का आगाज
चांदी सी बिखरी चांदनी में
तारों ने आसमान सजाया है
कर मुक्कमल जीत अपनी
खेलों का आगाज हो आया है।
एक अरब भारत की जनता
रही बढ़ा हौसला तेरा
चमक रही उम्मीद की किरणें
हर दिल में बनकर नया सवेरा।
जोश, जुनून भर उमंग मन में
चल बढ़ आगे, मार ले मैदान
कर पक्की तु जीत अपनी
स्वर्ण पदक का कर एलान।
देख रही दुनिया तुझको
उम्मीद पे खरा उतरना है
सपनों को अपने पंख लगाकर
उड़ आसमान तक जाना है।
@ विक्रम सिंह