*प्रेम क्या क्यों और कैसे?*

प्रेम क्या क्यों और कैसे?
बिन बोले जो जाने हिय की,
प्रेम ऐसा सद्गुण है।
कारण उसका कोई पता नहीं,
प्रेम ऐसा गुण है।
न बदले जो समय के साथ,
स्थिर रहे जज्बातों में।
सुन लेता है मन की बात,
जाड़े के सन्नाटों में।
चमक दमक और ना धन वैभव से आस,
प्रेम है दो आत्माओं का सच्चा प्रयास।
जिस पर कोई असर नहीं होता,
समय और जवानी का।
दुष्यन्त कुमार चाहता है ऐसा,
प्रेम रहे जिंदगानी का।।