मैं शिक्षक हूँ
मैं शिक्षक हूँ
शिक्षा देना मेरा धर्म है
और यही मेरा कर्म है।
देश की भावी पीढ़ी को तैयार करना
उसको सही राह पर चलना सीखाना
कितना मुश्किल है।
सबकी भावनाओं की कद्र करते हुए
सबके दिमाग की क्रियाओं को पढ़ते हुए
उनकी तर्कशक्ति को मजबूत बनाना
कितना मुश्किल है।
पर मैं शिक्षक हूँ
इन्हीं सब मुश्किलों को आसान बनाना
विद्यार्थी की हर मुश्किल में उसका साथ निभाना
भटके हुए को सही राह दिखाना
यही तो मेरा कर्म है।
बड़ी अपेक्षाएं रखता है समाज मुझसे
हर व्यवहार में चाहता है सदाचार मुझसे
व्यक्तिगत जीवन में भी सदाचार को अपनाना
क्योंकि मैं शिक्षक हूँ
शिक्षा देना मेरा धर्म है
और यही मेरा कर्म है।
@ विक्रम सिंह