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10 May 2024 · 1 min read

*दहेज: छह दोहे*

दहेज: छह दोहे
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1)
लोभी दूल्हे हो गए, दुल्हन हैं लाचार।
कैसे बिना दहेज के, होगा बेड़ा पार।।
2)
जिनको लोभ दहेज का, क्यों दें उन्हें दहेज।
बैंड बजा कर जोर से, क्यों न जेल दें भेज।।
3)
कैसे प्रथा दहेज की, होगी बंटाधार।
जब दहेज-अनुदान खुद, देती है सरकार।।
4)
चाल-चलन महॅंगे हुए, महॅंगा हुआ विवाह।
सस्ते में हों शादियॉं, ढूॅंढ़ो नूतन राह।।
5)
अफसर-नेता यदि करें, सस्ता पुत्र-विवाह।
जन-जन को होगी सुलभ, सरल सादगी राह।।
6)
बेटी को कर दो खड़ा, पैरों पर तैयार।
शिक्षा बड़ी दहेज से, जीवन का हथियार।।
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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