Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2021 · 3 min read

मुक्तामणि छंद एवं मुक्तामणि कुंडल

मुक्तामणि छंद [सम मात्रिक]. एवं मुक्तामणि कुंडल
विधान – 25 मात्रा, 13,12 पर यति,
विषम चरण में यति 12
चरणान्त में वाचिक भार 22 या गागा l
कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l
========================
मुक्तामणि कुंडल
हिंदी में दो सौ से अधिक अभी लोकप्रिय छंद हैं , और गेयता के आधार पर नए छंद भी सृजित हो जाते हैं , कुछ विद्वान जितना अपने गुरु से पढकर आए हैं , उससे आगे कुछ स्वीकार ही नहीं करते हैं, प्रलाप विवाद के अखाड़े में ताल ठोकने‌ लगते हैं , खैर इस विषय को‌ यहाँ छोड़ते हैं
यहाँ हम चर्चा कर रहे है , मुक्तामणि छंद से आधारित मुक्तामणि कुंडल की | कुंडल कान में पहनने बाला एक गोल आकृति का आभूषण है , यह आकृति जहाँ से प्रारंभ होती है , वहीं पर आकर समाप्त होती है
मुक्तामणि कुंडल की शैली , कुंडलिया , कुंडलिनी से‌‌ ली गई है
विधान मुक्तामणि छंद का व शैली कुंडलिया कुंडलिनी से है
======================
मुक्तामणि छंद –
गान धवलता से नहीं , होता है उजयाला |
बदबू कचरा ढ़ेर हो , क्या कर देगा ताला ||

(इस छंद में अधोलिखित सृजन से मुक्तामणि कुंडल बन जाएगा )
?
क्या कर देगा ताला , चाहते पूर्ण सफलता |
दूर हटाना गंदगी , पाएं गान धवलता ||
====================
{इसी तरह नीचे लिखा सृजन मुक्तामणि छंद एव मुक्तामणि कुंडल समझिए ) मुक्तामणि कुंडल में छंद का चौथा चरण ही पांचवा , (१२ मात्रा) रहेगा व आगे छटवाँ १३ मात्रा का हो जाएगा , पर सातवाँ , आठवां अपने विधान १३-१२-पर रहेगा |तथा जिस चौकल शब्द से प्रारंभ किया था , उसी चौकल शब्द से समापन होगा | यह कुंडल चौकल से ही प्रारंभ करना होगा क्योकि इसमें चरणांत २२ मात्रिक होता है
=====================
अपना गाकर गान जो, अपनी बाजू ठोके |
उनको तोता मानिए , कौन उसे क्यो रोके ||
+?
कौन उसे क्यो रोके, पालकर झूंठा सपना |
विषधर बनते दर्प के, घात करें खुद अपना ||
————————-
रखता जीवन में सही , जो‌ भी नेक इरादा |
उनका भी ईश्वर सदा , पूरा करता वादा ||
+?
पूरा करता वादा , सत्य सुभाष. अब कहता |
मिली सफलता जानिए, जो जीवन शुचि रखता ||
———————–
भोले ऊपर से दिखे , चालाकी हो अंदर |
क्या कर बैठे कब कहाँ , समझों इनको बंदर ||
+?
समझों इनको बंदर , डाल से चीं चीं बोलें |
अपना ही हित साधता , ऊपर नीचे डोलें ||
————————
कागा कपटी बोलता , हमें मोर ही जानो |
काँव – काँव करता रहे , कहें गीत ही मानो ||
+?
कहे गीत ही मानो , लहराकर एक धागा ||
कहता रस्सी जानिए , धोखा‌ देता कागा ||
——————-
माली देखो बाग का , नेह‌ सभी से रखता |
फूलों की माला बने , उपवन पूरा हँसता ||
+?
उपवन पूरा हँसता , देखिए बजती ताली |
बंदन होता बाग का , हर्षित रहता माली ||
————
मुख में भरकर गालियाँ, जो भी नभ में थूके |
खुद के मुख पर लोटता , कर्म यहाँ पर चूके ||
+?
कर्म यहाँ पर चूके, लगाकर आगी सुख में |
अमृत को तज आदमी,रखता विष को मुख में ||
————––
©सुभाष सिंघई
एम•ए• हिंदी‌ साहित्य , दर्शन शास्त्र
जतारा (टीकमगढ)म०प्र०
=========
मुक्तामणि छंद

अपना हित ही देखना , नहीं बुरीं हैं बातें |
पर ऐसा मत कीजिए ,चलें किसी पर लातें ||

शोर मचाने से नहीं , कभी बरसता पानी |
रटत- रटत हरि नाम भी , तोता बना न ज्ञानी ||

एक अनीति कर गई , रावण की बदनामी |
करते जो ताजिंदगी , क्या‌ समझेगें कामी |

ज़ख्म कुरेदे जग सदा , देकर चोट निशानी |
आरोपों को थोपता , करता है नादानी ||

छाया के सँग फल मिलें, और दाम भी मिलते |
पर पत्थर मत मारिए , आम पेड़ जब लगते ||

हम समझे हालात को , हल करने की ठानी |
हाथ जलाकर आ गए , कड़वा पाया पानी ||

मिलती रहती हैं यहाँ , मतलब की सब यारी |
अजमाकर भी देख लो, दिल में चुभे कटारी ||

देखो इस संसार में , तरह-तरह के‌‌ रोगी |
सबके अपने रोग हैं , दाँव पेंच उपयोगी ||

ज्ञानी अब सब लोग हैं, कौन करे नादानी |
नहीं मुफ़्त में बाँटिए , अपना अनुभव पानी ||

माल बाँटिए मुफ़्त में , कमी निकालें खोजी |
कचरा जाओ बेचनें , चल जाती है रोजी ||

©सुभाष सिंघई
एम•ए• हिंदी‌ साहित्य , दर्शन शास्त्र
जतारा (टीकमगढ)म०प्र०

1 Like · 3 Comments · 1796 Views

You may also like these posts

बचपन की यादें
बचपन की यादें
Anamika Tiwari 'annpurna '
कभी सोचा था...
कभी सोचा था...
Manisha Wandhare
(1ग़ज़ल) बंजर पड़ी हैं धरती देखें सभी नदी को
(1ग़ज़ल) बंजर पड़ी हैं धरती देखें सभी नदी को
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
माँ
माँ
meenu yadav
कर लो कर्म अभी
कर लो कर्म अभी
Sonam Puneet Dubey
ना जमीं रखता हूॅ॑ ना आसमान रखता हूॅ॑
ना जमीं रखता हूॅ॑ ना आसमान रखता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
*** शुक्रगुजार हूँ ***
*** शुक्रगुजार हूँ ***
Chunnu Lal Gupta
मन की गांठ
मन की गांठ
Sangeeta Beniwal
अहंकार
अहंकार
लक्ष्मी सिंह
🤣 लिख लीजिए 🤣
🤣 लिख लीजिए 🤣
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सजल
सजल
Rambali Mishra
दुश्मन उसके बाढ़ और सूखा
दुश्मन उसके बाढ़ और सूखा
Acharya Shilak Ram
फ़िलहाल देश को सबसे बड़ी ज़रुरत समर्थ और सशक्त विपक्ष की।
फ़िलहाल देश को सबसे बड़ी ज़रुरत समर्थ और सशक्त विपक्ष की।
*प्रणय*
बासठ वर्ष जी चुका
बासठ वर्ष जी चुका
महेश चन्द्र त्रिपाठी
"किन्नर"
Dr. Kishan tandon kranti
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
Ram Krishan Rastogi
हसरतों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
हसरतों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
न्याय यात्रा
न्याय यात्रा
Bodhisatva kastooriya
......सबकी अपनी अपनी व्यथा.....
......सबकी अपनी अपनी व्यथा.....
rubichetanshukla 781
*नियति*
*नियति*
Harminder Kaur
अब प्यार का मौसम न रहा
अब प्यार का मौसम न रहा
Shekhar Chandra Mitra
नित नित पेड़ लगाता चल
नित नित पेड़ लगाता चल
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
प्रतिस्पर्धाओं के इस युग में सुकून !!
प्रतिस्पर्धाओं के इस युग में सुकून !!
Rachana
गजलकार रघुनंदन किशोर
गजलकार रघुनंदन किशोर "शौक" साहब का स्मरण
Ravi Prakash
2563.पूर्णिका
2563.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है।
हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है।
दीपक झा रुद्रा
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पल- पल बदले जिंदगी,
पल- पल बदले जिंदगी,
sushil sarna
At the end of the day, you look back on what you have been t
At the end of the day, you look back on what you have been t
पूर्वार्थ
कौन कहता है कफ़न का रंग सफ़ेद ही होता है
कौन कहता है कफ़न का रंग सफ़ेद ही होता है
Iamalpu9492
Loading...