सुबह की किरणें
उठो जागो अब सुबह हो गई
देखो सूरज भी चढ़ आया।
लिए लालिमा चिढ़ा रहा
कि उठो सवेरा हो आया।।
चिड़ियाॅं भी लगी चहकने को
भवरों ने गुन-गुन गान सुनाया।
मधुमक्खियां भी निकली छत्तों से
मधु लाने का प्लान बनाया।।
फूदक फूदक कर नाच रही
तितलियां रंग बिरंगी है।
खिलते फूलों पर मंडराते
भवरों की चाल बेढ़ंगी है।।
कलियां भी देखो खिल आई हैं
नव किरणों का स्वागत करने।
नदियाँ भी कल कल गाती है
हरियाली हर घर करने।।
पेड़ों की शाखें झूम उठी
पा शीतल पवन का स्पर्श मधुर।
नव उमंग और जोश लिए
फैली किरणें भी इधर-उधर।।
सभी आ गए भोर देख कर
अब तो तुम भी उठ जाओ।
हर रंग सजा कर धरती पर
संग प्रकृति के खिल जाओ।।