आदमी का सफर
नाम था उसका आदि मानव
रहता जंगलों में खाता वो कंदमूल था
गुफाओं में बनाया उसने घर अपना
कर शिकार खाता उनको कच्चा ही था।
ना घर था, ना कोई ठोर-ठिकाना
कोशिश कर उसने दिमाग की बत्ती जलाई
भोजन था उसको पका कर खाना
पत्थर को घिसकर उसने आग है लगाई।
किया पहिए का आविष्कार, जो था बड़ा अनोखा
गाड़ी में लगा उसको, दुनिया की दूरी मिटाई
लकड़ी और पत्थर से औजार बनाकर
गुफाओं से निकलकर घर की बगिया सजाई।
औजारों ने बनाया उसके जीवन को आसान
काट पेड़ों को धरती को खेती में बदला
किया शुरू उगाना अनाज जब उसने
घर के खाने में उसके सब स्वाद है बदला।
धीरे-धीरे बढ़ विकास की राही
ज्ञान विज्ञान से नित चमत्कार है किए
धरती से उड़कर नभ तक जा पहुंचा
बिन केबल के मोबाइल फोन है चला दिए।
इंटरनेट है ऐसा खोज निकाला
गूगल पर उसने पूरी दुनिया को परोसा
नासा, इसरो सब बसा जगत में
चांद मंगल पर जाने का दिया भरोसा।
चहुं और बढ़ी तरक्की मानव की
मानव विनाश के परमाणु भी खोज निकाले
मानव ही मानव को मार रहा
मानव में बची इंसानियत को ही मार डाले।