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17 Feb 2024 · 1 min read

*विभाजित जगत-जन! यह सत्य है।*

वेदना, मजबूरी, गुरूर संलिप्त
विराजमान, स्तरवार! यह सत्य है।

स्तर निम्न का, अनसुनापन है।
जियें मध्यम ,आप-अपने में ।
बड़ा, बड़े का ही बना पड़ा हैं
विभाजन, स्तरवार! यह सत्य है।

द्वंद यथावत सदियों से चला है।
बाधा श्रेष्ठ – अधम में
अन्ध-दृष्टि में, अड़ा रहे वह
संज्ञान, वर्गवार ! यह सत्य है।

विचार, व्यवहार में भी किंचित
उपदेशो से ही सिंचित।
नवीनतम , बड़ा रहे वह
परिधान , स्तरवार ! यह सत्य है।

चिंता, स्वयं की ही करें है,
न नाम कँही पर दया का है।
निम्न- निम्नतम, मध्य- बीच में
उच्च-महाजन, हर बार! यह सत्य है।

वेदना, मजबूरी, गुरूर विभाजित
जगत-जन, स्तरवार! यह सत्य है।
✍संजय कुमार” सन्जू”

Language: Hindi
157 Views
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