Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

सरफिरे ख़्वाब

कुछ सरफिरे से ख़्वाब
अपनी तहज़ीब से बाहर
आँखों में बिका करते हैं
रीती सी ख़ामोशी में
हर बार कहा करते हैं ।
उदास धूप तेरे इश्क़ की
रूह को गुनगुनाती है
अलसाई बारिश तेरी याद की
धुँआ-धुँआ कर जाती है ।
कोहरे से परे, वही
पहचाना सा चेहरा
बुझती साँझ का किनारा
वक़्त की हथेलियों में
जमा किया था वो कतरा
उड़ा दिया हवा ने
आलिंगन में लेकर
और समेट दिया मुझको
मुझमें ही
सोच रहा हूँ
कितना ज़रूरी था
किसी का ज़रूरी हो जाना ।

Language: Hindi
70 Views
Books from Shally Vij
View all

You may also like these posts

यक्षिणी-13
यक्षिणी-13
Dr MusafiR BaithA
पापा गये कहाँ तुम ?
पापा गये कहाँ तुम ?
Surya Barman
“सुकून”
“सुकून”
Neeraj kumar Soni
वो कहते हैं कहाँ रहोगे
वो कहते हैं कहाँ रहोगे
VINOD CHAUHAN
भुजंगप्रयात छंद विधान सउदाहरण मापनी 122 (यगण)
भुजंगप्रयात छंद विधान सउदाहरण मापनी 122 (यगण)
Subhash Singhai
कब आयेंगे दिन
कब आयेंगे दिन
Sudhir srivastava
चार लोग
चार लोग
seema sharma
*दिव्य दृष्टि*
*दिव्य दृष्टि*
Rambali Mishra
समझों! , समय बदल रहा है;
समझों! , समय बदल रहा है;
अमित कुमार
​चाय के प्याले के साथ - तुम्हारे आने के इंतज़ार का होता है सिलसिला शुरू
​चाय के प्याले के साथ - तुम्हारे आने के इंतज़ार का होता है सिलसिला शुरू
Atul "Krishn"
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Satya Prakash Sharma
नव निवेदन
नव निवेदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *
* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अच्छा होगा
अच्छा होगा
Madhuyanka Raj
3879.*पूर्णिका*
3879.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नशा छोडो
नशा छोडो
Rajesh Kumar Kaurav
स्वीकार्य
स्वीकार्य
दीपक झा रुद्रा
पंछी अकेला
पंछी अकेला
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
"प्रार्थना"
राकेश चौरसिया
महीना ख़त्म यानी अब मुझे तनख़्वाह मिलनी है
महीना ख़त्म यानी अब मुझे तनख़्वाह मिलनी है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
संवेदना
संवेदना
Kanchan verma
बाईसवीं सदी की दुनिया
बाईसवीं सदी की दुनिया
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
लंबा क़ानून
लंबा क़ानून
Dr. Rajeev Jain
'रिश्ते'
'रिश्ते'
Godambari Negi
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
शेखर सिंह
क़ैद में रो रहा उजाला है…
क़ैद में रो रहा उजाला है…
पंकज परिंदा
पदयात्रा
पदयात्रा
लक्की सिंह चौहान
उल्फ़त का  आगाज़ हैं, आँखों के अल्फाज़ ।
उल्फ़त का आगाज़ हैं, आँखों के अल्फाज़ ।
sushil sarna
प्रश्न मुझसे किसलिए?
प्रश्न मुझसे किसलिए?
Abhishek Soni
"जगत-जननी"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...