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14 Feb 2025 · 1 min read

जिंदगी

एक रोज मुलाकात
जिंदगी से हुई
तो कई सवाल लिए
जिंदगी से पूछा

ऐ जिंदगी
तुम इतनी हसीन क्यों हो

हर दिन जिऊँ तुझे
फिर भी क्यों इतना सताती हो

क्यों इतना संघर्ष
क्यों इतना उथल-पुथल मचाती हो

कभी खुशी में नचाती
तो कभी गम में रुलाती हो

कभी सफलता की सीढ़ी पर
तो कभी धड़ाम से गिराती हो

कभी सपनों में ले जाती
तो कभी हकीकत से रूबरू कराती हो

कभी जीवन में उलझन ही उलझन
तो कभी हर उलझन का हल बताती हो

कभी झूठ फरेब में फसाती
तो कभी सच्चा इंसान बनाती हो

कभी सारी दुनिया ही अपनी
तो कभी भाई-भाई से बैर कराती हो

ऐ जिंदगी
यह सब प्रपंच क्यों रचाती हो

मेरे सब सवालों को सुनकर
जिंदगी उठी और बोली
मैं जिंदगी हूं बावले
तुझे जीना सिखाती हूं

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