हार और जीत
न हार से डर
न जीत से प्रोत्साहित हो
ये जीवन है
उतार चढ़ाव से भरा हुआ
कभी मिली है जीत तुझे
तो कभी हार का सामना कर
मत डर उस हार से
न निराश मन को कर
जो आती सीखाने तुझे
भगाती है जीवन का डर
जो डराता है तुझे तेरी हार से
सुनाता है ताने तुझको
उस जनता की मार से
जनता तो कहती है
यही तो काम है उनका
हार में आलोचना करना
जीत में कमियाँ निकालना
मत डर उनसे
जो दूसरों की हार में
खुद की हार को
छुपाने की कोशिश करते हैं
मत डर उस हार से
लग जा दुगने उत्साह से
उस हार को जीत में बदलने को
कमी न रहे तेरी मेहनत में
भले ही फिर हार हो तेरी
जीत की राह प्रगाढ़ कर
कर भरोसा अपने काम पे
कदम चूमेगी हर जीत तेरी।
@ विक्रम सिंह