दुश्मन
दुनियाँ में दुश्मन हजार
पर झगड़ा किसी से नहीं
कभी हक की बात की
कभी सच बोलकर देखा
किसी की सच्ची गवाही दी
किसी को अच्छी सलाह दी
सब दुश्मन हो गए।
गलत करने से रोका
नशा करने पे टोका
बिन मांगे सुझाया
किसी को गिरने से बचाया
कभी जिम्मेदारी बताई
कोई साझेदारी निभाई
सब दुश्मन हो गए।
कभी हंसी में टाल दिया
कभी सब कुछ सह लिया
खुद की उम्मीदें भी छोड़ दी
झूठी कड़ियाँ भी जोड़ दी
जो आइना दिखा दिया
पलट कर जवाब क्या दिया
सब दुश्मन हो गए।
कथनी को करनी बना दिया
जब सबका भला किया
खुद को औरों पर मिटा दिया
खून का एक एक कतरा बहा दिया
अपना सब कुछ लुटा दिया
थोड़ा सा ना क्या बोल दिया
सब दुश्मन हो गए।
फेसबुक पर कमेंट भी कर दिए
वट्सऐप इंस्टा पर लाइक भी कर दिए
दूसरों को खुश करने को
प्रशंसा के पुल बांध दिए
हर कमी को उनकी छुपा लिए
थोड़ी सी आलोचना क्या कर दी
सब दुश्मन हो गए।