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12 Mar 2025 · 1 min read

नई सोच

जमाना खुद नहीं बदलता
बदलता है उनसे
जो रखते है दम
उसे बदलने का
लड़ने का जमाने से
अकेले चलने का।

उन्ही के दम पे
बदलता है जमाना
नई दुनिया, नई रीत
बनाते है वही
जो सोचते है नया
वैज्ञानिक सोच से
ठानते है कुछ करने की
भरा है जुनून जिसमें
टकराने का
रूढ़िवादी परम्पराओं से।

बनानी है जिनको
ऐसी दुनियां
जो भरी हो समता से
हर हाथ को मिले काम
मिले हर एक को रोटी
ना भूख से मरता हो कोई
और ना पैसे की भूख हो
ऐसी बसे दुनिया
जो कल्पनाओं से परे हो।

ऐसी दुनियां
बनती है जिनके दम पे
जहाँ शिक्षा हो हक सभी का
ना हो ज्ञान पे कोई ताला
ना नफरत की कोई जगह
झगड़ा ना जात पात का
मजहब हो सिर्फ इन्सानियत
हो नई सुबह का आगाज
मंगलमय हो जीवन सबका।

@ विक्रम सिंह

Language: Hindi
3 Likes · 23 Views
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