Jaikrishan Uniyal 259 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Jaikrishan Uniyal 29 Mar 2021 · 2 min read योग्यता का भ्रम! ना पालो तुम, यूं योग्यता का भ्रम, नहीं है कोई किसी से कम, पहुंचे हो जहां पर तुम, पहुंच सकते थे वहां पर हम, जिसे तुम अपनी योग्यता बताते हो,... Hindi · कविता 1 6 641 Share Jaikrishan Uniyal 23 Mar 2021 · 3 min read नेतृत्व में नैसर्गिक गुणों की विधा ! हम लोकतंत्र में जीवन जीने वाले हैं लोग, हमारे चुने हुए ही हमारे नेता कहलाते हैं, यह परिक्षा देने आते हैं वह, और जब चुन लिए जाते हैं, तो हमारे... Hindi · कविता 1 8 445 Share Jaikrishan Uniyal 12 Mar 2021 · 2 min read अपना प्यारा देश हमारा!! अपना प्यारा भारत देश, बोली भाषा हैं अनेक, रहन सहन में है अनेकता, खान पान में विविधता, जलवायु नहीं एक समान, कहीं पर बहती शीत लहर है, कहीं पर गर्म... Hindi · कविता 1 346 Share Jaikrishan Uniyal 7 Mar 2021 · 2 min read समय चक्र और जीवन सफर ! माता के गर्भ से, प्रारंभ हो गया, जो जीवन का सफर, और फिर, एक निर्धारित समय पर, आ गये हम धरती मां की गोद पर, तिल तिल कर, कब बड़े... Hindi · कविता 1 4 478 Share Jaikrishan Uniyal 28 Feb 2021 · 3 min read " मैं "के चक्कर में , जब आ गया मैं! जब तक मैं, बिन" मैं "के था, इसका ना कोई अता पता था, अपनी मस्ती में ही खुश था! ना जाने इसने कब आ दबोचा, कभी ना मैंने इस पर... Hindi · कविता 1 6 502 Share Jaikrishan Uniyal 27 Feb 2021 · 1 min read आंदोलन पर प्रश्न नाहक! आंदोलन से कोई यों ही नहीं जुड़ जाता, जब तक जिसके अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा नहीं हो जाता, वह आंदोलन की राह नहीं अपनाता! जब हो जाएं प्रतिकूल परिस्थिति, तब... Hindi · कविता 1 1 292 Share Jaikrishan Uniyal 26 Feb 2021 · 3 min read आंदोलन ! जो जूड़ गया जीवन में!! बांदल नदी पर, इस बार, खनन नहीं, अपितु, हो रहा था, बाढ़ सुरक्षा कार्य, मांग की गई थी, जिसकी, अनेकों बार, खुश थे हम, सुरक्षा के भाव से, बच जाएंगे,... Hindi · कविता 1 356 Share Jaikrishan Uniyal 25 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन मेरी नियति! आंदोलन मेरे भाग्य में, आंदोलन ही मेरी नियति, इसका हुआ आभास मुझे, जब बन गई ये परिस्थिति, बात यह सतान्वे अठ्ठानवे की, जब जिला प्रशासन ने, वह नदी पट्टे पर... Hindi · कविता 1 310 Share Jaikrishan Uniyal 25 Feb 2021 · 3 min read आंदोलन काल! उन्नीस सौ अठ्ठासी में पंचायत के चुनाव का बिगुल बजा, अन्य लोगों की तरह, मैंने भी चुनाव लडा, अपने ही साथी संगी, बन गये प्रतिध्वंदी, खुब हुई हममें जंग, जीत... Hindi · कविता 3 6 498 Share Jaikrishan Uniyal 24 Feb 2021 · 3 min read गृहस्थ जीवन और जन सरोकार! सन उन्नीस सौ ईक्कासी, मैं हुआ गृहस्थी, सन बयासी में, बना सदस्य पंचायत में, एक ओर घर गृहस्थी की थामना, दूसरी ओर जन सरोकारों से होता सामना, दोनों में संतुलन... Hindi · कविता 1 2 305 Share Jaikrishan Uniyal 22 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन से साक्षात्कार! यह किस्सा है तब का, जब मैं प्रशिक्षु बना पौलीटैकनिक का, जिस पाठ्यम में प्रवेश लिया, नाम उसका का कामर्शियल प्रैक्टिस था, दो वर्षीय यह डिप्लोमा, इस से पूर्व जिसने... Hindi · कविता 1 485 Share Jaikrishan Uniyal 21 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन से वास्ता! जब मैं बारहवीं का छात्र था, और चल रही थी बोर्ड परीक्षा, नकल करते पकड़े गए कुछ छात्र, मचाने लगे वह उत्पात, अब अगले दिन की परिक्षा को रोकने लगे,... Hindi · कविता 2 2 594 Share Jaikrishan Uniyal 19 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन का पहला पाठ! आंदोलन कारी! यह है उस दौर की बात, जब मैं गया कक्षा आठ, उम्र थी तब चौदह वर्ष, चुना गया मैं अध्यक्ष, हो रहा था मुझे अति हर्ष, मिला मुझे था एक... Hindi · कविता 1 3 560 Share Jaikrishan Uniyal 11 Feb 2021 · 2 min read आपदाओं के बीच जीए गये ये दसक! जनवरी से लेकर दिसंबर का अंतराल, बीतते गए साल दर साल, होती रही है वर्ष भर ऐसी हलचल, एक ऐसा सच अविचल अटल। कनोडिया गाड़ की झील से लेकर,(उत्तरकाशी में... Hindi · कविता 3 10 287 Share Jaikrishan Uniyal 5 Feb 2021 · 1 min read काहे का अन्नदाता!! जब हो गया खूब फजीता, तब सड़कों पर उतरा अन्न उपजाता, मुझसे क्यों रुठ गये,शासक भ्राता, मैं तो हूं सबका अन्नदाता। यह कानून नहीं मेरे हित में, वापस ले लो... Hindi · कविता 5 7 361 Share Jaikrishan Uniyal 3 Feb 2021 · 1 min read दूरी का नया प्रतिमान!!(पैमाना) अभी तक दूरी नापने का, पैमाना जो आम खास था, सेंटीमीटर इंच फिट मीटर, और किलोमीटर के नाम था। यूं तो आपसी समझ संबंध को भी, दूरी से आंका जाता... Hindi · कविता 2 5 352 Share Jaikrishan Uniyal 28 Jan 2021 · 1 min read शरद का अहसास ! शरद को यूं तो एक ऋतु से जाना जाता है, किन्तु शरद पर मनुष्य का अख्तियार ज्यादा है, ऋतु तो वर्ष भर में एक बार आकर दे जाती है दस्तक,... Hindi · कविता 2 288 Share Jaikrishan Uniyal 26 Jan 2021 · 4 min read मंथन!! आज जब हमारे गणतंत्र को बहत्तर वर्ष हो रहे हैं,यह उम्र आम इंसान के लिए बाणप्रस्थ से संन्यास की ओर जाने की तैयारी करने का द्योतक है,तब हमारे इस लोक... Hindi · लेख 1 4 363 Share Jaikrishan Uniyal 24 Jan 2021 · 1 min read नाक की लड़ाई !! अब लग रहा है किसान आन्दोलन, बन गया है नाक की लड़ाई, ना तो सरकार ने मानी बात, ना मान रहे हैं किसान भाई! देश इसे देख रहा है टुकर-... Hindi · कविता 1 6 579 Share Jaikrishan Uniyal 22 Jan 2021 · 2 min read भक्त वत्सल भगवान-नादान इंसान!! श्रृष्टि के ये तीन देव, ब्रह्मा विष्णु महादेव, भक्त वत्सल है यह त्रिमूर्ति, अद्भुत है इनकी श्रृष्टि; एक जन्म दाता, एक हैं पालक, एक मुक्ति के दाता जीवन सघांरक! तीनों... Hindi · कविता 2 8 854 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jan 2021 · 1 min read असमानताएं!! इधर झोंपड़ी, उधर मकान, एक में है इंसानी जिस्म, एक में तथा कथित इंसान! यह कष्ट में दुःखी हैं, पर, पर दूसरों के दुख -कष्ट सह सकते नहीं, ये सुखी... Hindi · कविता 1 6 266 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jan 2021 · 4 min read आहत मन से! उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक प्राथमिक विद्यालय की सहायक अध्यापिका, की रचना"प्रधान का चुनाव लडुंगी अबकी बारी" में अंन्य कितने ही गंभीर रूप से उसका वर्णन करते हुए, प्रधान... Hindi · लेख 1 2 283 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jan 2021 · 2 min read स्वयं को पहचानने का जतन ! समय-समय की बात है, मैं उलझ गया था अपने आप में, कुछ घटनाचक्र ही ऐसा रहा, मैं घर से बाहर नहीं निकल सका, सामान्य प्रक्रिया तो चलती रही,..................... लेकिन अपने... Hindi · कविता 1 4 619 Share Jaikrishan Uniyal 10 Jan 2021 · 2 min read हम हिन्दू हों,या कुछ और! हम हिन्दू हैं, या कुछ और, यह कहे जाने पर, करते हैं गर्व की अनुभूति, हमें भारतीय कहलाने में, महसूस होती है राष्ट्रीयता की अभिव्यक्ति! हम गांव-देहात से हैं, इसे... Hindi · कहानी 3 5 459 Share Jaikrishan Uniyal 7 Jan 2021 · 2 min read किसानों की पुकार,सुन लो सरकार!! मैं इतना ही भरोसा, तो आपसे चाहता हूं जो निर्धारित किया है मुल्य को आपने साहब, हो खरीदी उसी पर, मेरी फसलों की जनाब, बस यही तो मैं अपनी आमदनी... Hindi · कविता 3 4 299 Share Jaikrishan Uniyal 6 Jan 2021 · 2 min read राहुल आकर मिले मुझसे!!! मैं राहुल से मिलूं या राहुल आकर मिले मुझसे, वह अपनी बात कहे, और मैं अपनी बात कहूं उससे! क्यूं राजनीति में अटके हुए, उलझे उलझे रहते हो, भटका हुआ... Hindi · कविता 11 287 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jan 2021 · 1 min read विरोधी का मान या अपमान !! विरोधी को पराजित करना है दस्तूर, विरोधी को पस्त करते रहें जरुर, पर विरोधी को ना करें नेस्तनाबूद, अपने लिए ही ठीक नहीं है यह गुरुर!! विरोधी का काम ही... Hindi · कविता 3 10 322 Share Jaikrishan Uniyal 31 Dec 2020 · 3 min read हर पल एक नया अहसास !अलविदा बीस इक्कीस का आगाज !!! बीत रहा जो पल, बनने वाला है कल कल जिसे हमने जी लिया वह पल, और आने वाला है जो पल वह भी आज से शुरू होकर बन जाएगा कल,... Hindi · मुक्तक 3 7 280 Share Jaikrishan Uniyal 29 Dec 2020 · 5 min read नेताओं के इर्द-गिर्द घूमता और सिकुड़ता लोकतंत्र !! अपने देश में अब तक पार्टी आधारित लोकतंत्र संचालित हो रहा था, हालांकि नेताओं के प्रभामंडल में तब भी कोई कमी नहीं रहती थी, लेकिन पार्टी में नेता के समकक्ष... Hindi · लेख 2 8 380 Share Jaikrishan Uniyal 28 Dec 2020 · 1 min read किसान और हुक्मरान का घमासान !! किसान अपनी व्यथा को समझाने है निकला, हुक्मरानों ने बिना मांगे ही उन्हें ऐसा कुछ दे दिया, जिसे स्वीकारना हमारे लिए असहज हो रहा! बस इसी बात पर तो यह... Hindi · कविता 2 6 610 Share Jaikrishan Uniyal 19 Dec 2020 · 5 min read अब महंगाई पर कोई विरोध नहीं किया जाता! एक जमाना वह था,जब थोड़ी सी भी महंगाई बढ़ती तो आम जन से लेकर हर राजनैतिक दल इसके विरोध में सड़कों पर उतर आते थे, एक समय पर तो माननीय... Hindi · लेख 4 11 289 Share Jaikrishan Uniyal 15 Dec 2020 · 2 min read कोरोना-मास्क और पहनने का जज्बा!! मास्क को मास्क रहने दो, इसका हार ना बनाईए, हां दूरियां नहीं सदा अच्छी, किंतु थोड़ी सी तो अपनाईए, सरकारी भरोसे रहना नहीं भाई, सरकारी व्यवस्थाएं हैं चरमराई, एक अनार... Hindi · कविता 1 5 257 Share Jaikrishan Uniyal 12 Dec 2020 · 1 min read बिल लाए हटाए जा सकेंगे ! किसान ना बनाए जा सकेंगे!! ऐसा क्या मांग लिया किसान ने, जो सरकार के पास नहीं, और ऐसा क्या दे रही सरकार, किसान को जिसकी चाह नहीं, दोनों हैं जीद पर अडे हुए,मिल रही सुलह... Hindi · कविता 1 2 250 Share Jaikrishan Uniyal 6 Dec 2020 · 2 min read टाटा बिड़ला से लेकर अडानी अंबानी तक!! मैं जब छः-सात साल का था, स्कूल जाना शुरू किया, अ-आ, से लेकर,क-ख--ग लिखना और पढ़ना शुरू किया, तब कभी कभार, बड़े बुजूर्गों की गप्पेंं सुना करता था, और अक्सर... Hindi · कविता 1 2 394 Share Jaikrishan Uniyal 5 Dec 2020 · 2 min read उजाला और धूप! उजाला बनाया जा सकता है धूप नहीं, यह बात व्यंग्यकार समत सरल ने कही, और बहुत ही तर्कसंगत एवं सटीक बात कही! इसके कहने के निहितार्थ क्या हैं, मनुष्य स्वयं... Hindi · कविता 1 5 378 Share Jaikrishan Uniyal 2 Dec 2020 · 1 min read किसान की बेचैनी रंग ल्याई सडक्यों पर उमड्या छः किसान भाई किसान की बेचैनी रंग ल्याई सडक्यों पर उमड्या छः किसान भाई पैली त यूं तैं कुई भाव नी देणा छा फसल्यों को वाजिब दाम भी नी देणा छा, अभी तक... Hindi · गीत 405 Share Jaikrishan Uniyal 29 Nov 2020 · 1 min read क्या पाई हमुन उत्तराखंड बणै तैं! क्या पाई हमुन उत्तराखंड बणै तैं ठग्यां का ठग्यां रै गया उत्तराखंड बणै तैं, एनु बोना छा तब, नौकरी मिलली, रुजगार बढलो बेरुजगारी थमली, पलायन त अभी तक थमी नी... Hindi · गीत 1 2 490 Share Jaikrishan Uniyal 26 Nov 2020 · 2 min read कोरोना को रोग भायों फैलणू च घर-घर कोई भी इलाज यांको औणू नी छः नजर! कोरोना को रोग भायों,फैलणू च घर-घर, कोई भी इलाज यांको, औणु नी छः नजर, घुमा ना यूं बेफिकर,जानी की फिकर कर, कोरोना को रोग भायों,फैलणू च घर-घर... कोई भी इलाज... Hindi · गीत 1 4 562 Share Jaikrishan Uniyal 22 Nov 2020 · 2 min read जिद कहें या हठ बात तो एक ही है! हम जिद कर बैठते हैं, अपनी मनवाने के लिए, वो हठ कर डालते हैं, न मानने के लिए! हमारी जिद और उनकी हठ, जूझने लगती है, पल, दो पल, घड़ी,... Hindi · कविता 1 4 322 Share Jaikrishan Uniyal 16 Nov 2020 · 2 min read सर्वोच्च न्यायालय और वर्तमान परिवेश!! कुणाल कामरा, क्या खराब हो गया है दिमाग तुम्हारा, सर्वोच्च न्यायालय को आइना दिखाते हो, ऐसा तुम कैसे कर पाते हो, कभी सोचा भी है इसका अंजाम, क्या होगा इसका... Hindi · कविता 3 8 536 Share Jaikrishan Uniyal 10 Nov 2020 · 2 min read आग्रह-पुर्वाग्रह-और दुराग्रह!! सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे भवन्तु निरामय, सब सुखी रहें सभी निरोगी जीवन जीएं, यह आग्रह लेकर चलने वाले, हैं यह सब कितने निराले, अपने संग संग चाहते हैं सबको,, सुख... Hindi · कविता 2 2 523 Share Jaikrishan Uniyal 4 Nov 2020 · 3 min read मनुष्य में पशुता और पशुओं में सहिष्णुता!! मानव में मानव नहीं दिखता, बढ़ रही है मानव में पशुता, इधर पशुओं का व्यवहार भी बदल रहा है, अब उसमें हिंसा की जगह सहिष्णुता का भाव दिखता है, मानव... Hindi · कविता 1 4 285 Share Jaikrishan Uniyal 1 Nov 2020 · 1 min read खुशामद:=खुशी+आमद!! ,"क्षणिकाएं!" खुश धन आमद बराबर खुशामद! खुशियां मिले, बिना आमद, अपनी कहां ऐसी किस्मत, जब भी पाना होता है कुछ, तो करनी पड़ती है, यह खुशामद! खुशामद चाकरी पाने की,... Hindi · कविता 2 4 455 Share Jaikrishan Uniyal 25 Oct 2020 · 1 min read सरकार हमारी बनाओ, मुफ्त वैक्सीन लगाओ!! अन्नपूर्णा,धन लक्ष्मी जी, थी जनता को समझा रही, सरकार हमारी बना दो, मुफ्त वैक्सीन लगवा लो, वैक्सीन का मुल्य समझ आ रहा है, वोट से वैक्सीन का सौदा किया जा... Hindi · कविता 1 312 Share Jaikrishan Uniyal 21 Oct 2020 · 1 min read आत्ममुग्धता से लेकर, अंधभक्ति तक!! आत्ममुग्धता से लेकर अंधभक्ति तक पराकाष्ठा के शिखर पर रहने को आतुर आत्मावलोकन की दरकार है! चल रहा है द्वंध अंदर ही अंदर, किन्तु स्वीकारना दंभ से भरे हुए इस... Hindi · कविता 3 2 596 Share Jaikrishan Uniyal 15 Oct 2020 · 3 min read एंकर सुख! कितना सुकून है एंकर होने में, कितना सुख है एंकर बनने में, हर रोज टीवी पर दिखने को मिलता है, अच्छा होवे या बुरा घटे, अपने चश्मे से दिखाने को... Hindi · कविता 3 2 341 Share Jaikrishan Uniyal 7 Oct 2020 · 1 min read मैं निर्भया हूं, निर्भय होकर वार करुंगी!! मैं बेटी हूं भारत मां की, मुझे जाति-धर्म में ना बांटो तुम, मैं जननी बन कर, जन्म देती हूं, मुझे खांचों में ना बांधों तुम! मैं ही मां हूं, बहन... Hindi · कविता 1 2 429 Share Jaikrishan Uniyal 2 Oct 2020 · 2 min read क्या अब मान लें, आप हैं यह सब मुमकिन है? जब यह नारा सामने आया, मोदी हैं तो सब मुमकिन है, सुनकर हमें भी भ्रम हुआ, यह सब कैसे मुमकिन है! लेकिन जब पुलवामा घट गया, तो प्रतिक्रिया में बालाकोट... Hindi · कविता 2 4 419 Share Jaikrishan Uniyal 27 Sep 2020 · 2 min read बिलों के बिल में मजदूर-किसान!! सरकार बिल लेकर आई है, एक बिल में किसान, एक बिल में मजदूर भाई है, दोनों ही संतुष्ट नहीं, लेकिन सरकार अडिग है, इस बिल की नितांत जरुरत है, इससे... Hindi · कविता 3 5 217 Share Jaikrishan Uniyal 16 Sep 2020 · 2 min read हम प्राइम टाइम देखने में लगे हैं! सुशांत दुनिया से चले गए, रिया को हो गई जेल, अब कंगना की एंट्री हुई,देख सियासत का खेल! सुशांत एक बार नहीं मरा,बार बार मारा गया, और रिया को हत्यारा... Hindi · कविता 2 4 257 Share Previous Page 2 Next