Comments (4)
Jaikrishan Uniyal
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1 Nov 2020 09:12 PM
धन्यवाद चतुर्वेदी जी सादर प्रणाम।
1 Nov 2020 06:27 PM
खुशामद के चक्र में मैं ऐसे उलझा ,
के अपनी हस्ती भूलकर कठपुतली बनकर रह गया ,
धन्यवाद !
1 Nov 2020 04:09 PM
बहुत सुंदर सर, आपको सादर नमस्कार
धन्यवाद श्रीमान श्याम सुंदर जी, जीवन में कभी ऐसे पल आते हैं जब ना चाहते हुए भी यह करना मजबूरी बन जाती है! किन्तु किसी के अहित में ऐसा किया जाना अपराध जैसा है।
सादर प्रणाम।