Comments (4)
6 Nov 2020 11:35 AM
भौतिक विकास के जगत में मानवीय संवेदना का ह्रास हो रहा है। मनुष्य केआकलन के मापदंड उसके चरित्र एवं उसमें निहित गुणों के स्थान पर उसकी संपन्नता एवं पद हो गए हैं । स्वार्थपरता चरम सीमा पर है। साम दाम दंड भेद की नीति के उपयोग से मनुष्य अपना वर्चस्व सिद्ध करने मैं प्रयासरत है।
यह एक कटु सत्य है।
धन्यवाद !
Jaikrishan Uniyal
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4 Nov 2020 08:44 PM
धन्यवाद श्रीमान चतुर्वेदी जी! सादर प्रणाम।
4 Nov 2020 01:44 PM
बहुत सुंदर भाव है साधुवाद। आपको सादर नमस्कार।
धन्यवाद श्रीमान श्याम सुंदर जी, आपकी पारखी नज़र में कुछ छिपता नहीं है,भले ही कोई अपने विचार व्यक्त करने से सफलता के लिए संघर्षरत ही क्यों न हो,आप सहजता से मंत्ब्य को भांप लेते हैं,सादर प्रणाम।