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12 Dec 2020 10:31 PM
बिलकुल सही सर । अगर ये खालिस्तान होते तो 2019 में BJP को 304 सीट ना मिलती । जब किसान चाहता ही नही कि उसे कुछ ज्यादा मिले तो क्यूँ जबर्दस्ती दिया जा रहा है वैसे भी कृषि राज्य का विषय है अतः जिस राज्य के किसान को ऐसा उचित लहे वो कर ले जिसको नही वो छोड़ दे । जबर्दस्ती क्यूँ की जा रही है ।
यही तो विडंबना रही है किसान की, वह किसान के रूप में सिर्फ एक उत्पादक तक ही सीमित रह गया है, जबकि अन्य सबने अपने महत्त्व को बार-बार रेखांकित किया है और उसका भरपूर लाभ उठाते आ रहे हैं, लेकिन किसान खेमों में बंटे रह गए,या संगठन की आवश्यकता ही नहीं समझी, और जो किसान संगठित होकर अपने हकों को उठाते रहे हैं वह उसका उपयोग कर भी रहे हैं, और वही आज सबको नेतृत्व भी प्रदान कर रहे हैं, किंतु उन्हें एक बनाए रखने में बहुत ऊर्जा की आवश्यकता है क्योंकि इन गरीबों के पास लम्बी लड़ाई लड़ने के संसाधन भी प्रर्याप्त नहीं होंगे, और वर्तमान परिवेश में उन्हें छोटे मोटे लोभ लालच देकर चुप कराने का कूटनीतिक खेल लगातार जारी है।