Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Feb 2021 · 3 min read

गृहस्थ जीवन और जन सरोकार!

सन उन्नीस सौ ईक्कासी,
मैं हुआ गृहस्थी,
सन बयासी में,
बना सदस्य पंचायत में,
एक ओर घर गृहस्थी की थामना,
दूसरी ओर जन सरोकारों से होता सामना,
दोनों में संतुलन बनाना,
समय चक्र संग आगे बढ़ना,
करने लग गया मैं,
खेती बाड़ी,
अतिरिक्त समय में दुकानदारी,
पंचायत के कार्य में सक्रिय हिस्सेदारी!

परिवार की अपेक्षाओं का बोझ,
पंचायत की समस्याओं का बोध,
दोनों साथ साथ निभाए जा रहे थे,
उम्मीदों को पंख लगाए जा रहे थे,
घर से अधिक तब पंचायत ने उलझा दिया,
जब प्रस्तावों में हमने,
शिक्षा,स्वास्थय, सड़क,बिजली,पानी को,
चर्चा में ला दिया!

सेकेट्री से प्रस्ताव तैयार कराए गए,
प्रधान जी से हस्ताक्षर कर ब्लाक में भिजवाए गए,
अब उनकी पैरवी भी प्रधान जी को ही करनी पड़ी,
जब बी डी ओ की नजर उन पर गढ़ी,
वह कहने लगे इनका समाधान नहीं उनके पास में,
इनका अधिकार है डी एम साहब के हाथ में,
इसके लिए तो उन्ही से मिलो,
उन्हें ही लिखो और उन्ही से कहो,
हम साधारण से ग्रामीण डी एम से कैसे मिले,
था संकोच दिल में,
थी मन में हिचक,
समाधान बता गए हमें प्रमुख,
लिखो एक चिट्ठी,
चलो साथ मेरे,
जाकर मिलेंगे हम कल सबेरे!

डी एम से मिलने का कौतूहल बडा था,
पहले ना इससे कभी उनसे मिला था,
सुबह सबेरे हम तैयार हो गए थे,
प्रमुख जी की इंतजार में खड़े थे,
आने पर उनके हम साथ हो लिए,
डी एम के आफीस को हम साथ चल दिए,
पर्ची भिजवा कर समय मांगा गया,
समय मिलने पर हमें मिलने को बुलाया गया,
हमारा लिखा पत्र प्रमुख जी ने डी एम को सौंप दिया,
फिर हमारा परिचय देकर अनुरोध किया,
इनकी समस्याओं का समाधान कीजिए,
जितना भी हो सकता है वह काम कर दीजिए।

डी एम साहब ने अपने सहायक को बुलाया,
अलग अलग विषयों पर अलग अलग पत्र लिखवाया,
अलग अलग विभागों में उन्हें भिजवाया,
हमें बड़े ही प्यार से समझाया,
जो मेरे हाथ में है वह मैं कर रहा हूं,
सभी संबंधित विभागों में इन्हें भेज रहा हूं,
जिला विकास समिति की जब भी बैठक करेंगे,
तब तक ये हर विभाग अपने प्रस्ताव तैयार रखेंगे,
और जहां जिस किसी काम की जरूरत होगी,
समिति वहां पर उसको स्वीकृत करेगी।

एक दो वर्ष तक हमने इंतजार कर लिया,
फिर उसके लिए विभागों से संपर्क किया,
पता करने पर पता चला,
हमारे पक्ष में कोई नहीं था,
विधायक भी हमारा दूसरे जिले से था,
हमारे क्षेत्र को परिसीमन में उत्तरकाशी में मिलाया गया था,
उनको प्र्रदेश में मंत्री पद मिला था,
जिला विकास समिति में वह शामिल नहीं थे,
उनको यह पत्र हमने भेजे नहीं थे,!

कौन वहां पर हमारी पैरोकारी करता,
कौन हमारी समस्याओं पर ध्यान धरता,
समस्या अब जटिल बन गई थी,
विधायक से मिलने पर सहमति बनी थी,
फिर लखनऊ को जाने का कार्यक्रम बनाया,
वहां पर जाकर विधायक को पुरा किस्सा सुनाया,
उन्होंने भी पत्र डी एम को ही लिखा,
उन्ही से समाधान करने को कहा,
हमको भी अब समझ में आ गया,
बिना किसी आंदोलन के यह सब मिलने से रहा!

अब हमने तय कर लिया था,
धरने पर बैठने का प्रबंध किया था,
पंचायत घर पर ही हम बैठ गये थे,
मांग पत्र बना कर डी एम को सौंप गए थे,
कई दिनों तक हम बैठे रह गए,
प्रशासन की ओर से भी कोई नहीं आ रहे थे,
तब अचानक एक दिन एस डी एम आ गये,
आकर हमसे चर्चा करने लगे,
फिर अपनी एक रिपोर्ट उन्होंने तैयार की,
फिर हमसे उनके समाधान पर बात की,
एक एक विभाग की समस्याओं को उन्होंने जाना,
हमारी समस्याओं को उन्होंने सही माना,
और फिर धरने को वापस लेने को कहा,
हमने उन्हें अपना मंतव्य बता दिया,
जब तक समाधान नहीं हुआ,
कोई भी यहां से नहीं हिलेगा,!

तब उन्होंने हमें यह सुझाया,
तीन लोगों को अपने कार्यालय में बुलाया,
तारीख भी तय कर के बता दी,
हमसे आने की ताकीद करा दी,
निर्धारित तिथि पर हम वहां पहुंचे,
जहां पर बुलाए गए थे अन्य महकमे,
उन सब से समाधान को कहा गया,
इस तरह से हमारा यह धरना प्रदर्शन समाप्त किया,
हम भी खुश थे,चलो कुछ तो हल निकला,
शेष रह गई समस्याओं पर फिर मिलने को कहा गया,
इन सब के समाधान में काफी वक्त बीत गया,
और तभी नये सिरे से चुनावों का ऐलान हो गया,
शेष बची रह गई फिर भी कुछ समस्याएं,
इन्हें पुरी करने की जो जिम्मेदारी निभाएं,
वही अब सामने प्रधान बनने को आएं।

(यादों के झरोखे से)

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 277 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
"बारिश की बूंदें" (Raindrops)
Sidhartha Mishra
सलामी दें तिरंगे को हमें ये जान से प्यारा
सलामी दें तिरंगे को हमें ये जान से प्यारा
आर.एस. 'प्रीतम'
माईया पधारो घर द्वारे
माईया पधारो घर द्वारे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हमारी सम्पूर्ण ज़िंदगी एक संघर्ष होती है, जिसमे क़दम-क़दम पर
हमारी सम्पूर्ण ज़िंदगी एक संघर्ष होती है, जिसमे क़दम-क़दम पर
SPK Sachin Lodhi
देखी है हमने हस्तियां कई
देखी है हमने हस्तियां कई
KAJAL NAGAR
वह
वह
Lalit Singh thakur
खुद पर विश्वास करें
खुद पर विश्वास करें
Dinesh Gupta
3010.*पूर्णिका*
3010.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बता ये दर्द
बता ये दर्द
विजय कुमार नामदेव
पहाड़ी नदी सी
पहाड़ी नदी सी
Dr.Priya Soni Khare
ज़िंदगी की अहमियत
ज़िंदगी की अहमियत
Dr fauzia Naseem shad
डरना नही आगे बढ़ना_
डरना नही आगे बढ़ना_
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
जब कैमरे काले हुआ करते थे तो लोगो के हृदय पवित्र हुआ करते थे
जब कैमरे काले हुआ करते थे तो लोगो के हृदय पवित्र हुआ करते थे
Rj Anand Prajapati
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
विषाद
विषाद
Saraswati Bajpai
थोड़ा दिन और रुका जाता.......
थोड़ा दिन और रुका जाता.......
Keshav kishor Kumar
कलियुगी रिश्ते!
कलियुगी रिश्ते!
Saransh Singh 'Priyam'
‘’ हमनें जो सरताज चुने है ,
‘’ हमनें जो सरताज चुने है ,
Vivek Mishra
राणा सा इस देश में, हुआ न कोई वीर
राणा सा इस देश में, हुआ न कोई वीर
Dr Archana Gupta
आज दिवस है  इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
आज दिवस है इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
sushil sarna
*देह का दबाव*
*देह का दबाव*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अफ़सोस का बीज
अफ़सोस का बीज
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*खाई दावत राजसी, किस्मों की भरमार【हास्य कुंडलिया】*
*खाई दावत राजसी, किस्मों की भरमार【हास्य कुंडलिया】*
Ravi Prakash
जितना अता किया रब,
जितना अता किया रब,
Satish Srijan
ढूॅ॑ढा बहुत हमने तो पर भगवान खो गए
ढूॅ॑ढा बहुत हमने तो पर भगवान खो गए
VINOD CHAUHAN
यह पृथ्वी रहेगी / केदारनाथ सिंह (विश्व पृथ्वी दिवस)
यह पृथ्वी रहेगी / केदारनाथ सिंह (विश्व पृथ्वी दिवस)
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
Anand Kumar
रास्तो के पार जाना है
रास्तो के पार जाना है
Vaishaligoel
हाल मियां।
हाल मियां।
Acharya Rama Nand Mandal
Loading...