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12 Feb 2021 09:48 PM

राजेश जी मैं प्रयास करता हूं,सादर अभिवादन।

12 Feb 2021 09:47 PM

श्याम सुंदर जी सादर नमस्कार, भौतिक विकास की दौड़ में हमने प्रकृति के साथ बहुत छेड़छाड़ कर ली है, अब प्रकृति सहन करने में असमर्थ महसूस करने लगी है! काश हमारे नीति नियंता इसका मुल्याकंन करते।

12 Feb 2021 09:44 PM

मनमोहन जी आपकी रचना पढ़ी है, और उसे लाईक भी किया है,सादर अभिवादन।

??प्रकृति की विभीषिका की अत्यंत सुंदर रचना । अंकल जी ।?? कृप्या मेरी रचना “ये खत मोहब्बत के” पर भी प्रकाश डालें पसंद आये तो अवलोकन कर वोट देने की कृपा करें ।?? मुझे आपके वोट का इंतजार रहेगा अंकल जी ।??????

अप्रत्याशित आपदाओं की विनाश लीला से दुःखित हृदय की भावपूर्ण प्रस्तुति।
प्राकृतिक संपदाओ के अविवेकशील निरंतर दोहन से निर्मित पर्यावरण असंतुलन इस प्रकार की आपदाओं के उद् भव का मुख्य कारण हैंं।
पर्यावरण संतुलन की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है तभी हम इस प्रकार की असंभावित आपदाओं से सुरक्षित रह सकते हैं ।

धन्यवाद !

आपकी कृति बहुत अच्छी है.
मेरी रचना “प्रेम……किस्तों में” पसंद आए तो कृपया उसे अपना बहुमूल्य वोट प्रदान करने की अपार कृपा करेंगे.
?

11 Feb 2021 03:58 PM

धन्यवाद,सोनी जी! पहाड़ पर रहने वाले सब तो इस विपदा को नहीं समझ रहे हैं,वह सिर्फ भौतिक विकास के लिए यह कुर्बानी देने के लिए तत्पर रहते हैं, ताकि वह खुशहाली पा सकें तथा वहां पर ठहरा हुआ यह विपदाएं झेलता रहे!सादर अभिवादन श्रीमान अशोक जी।

आप तो स्वयं उत्तराखंड के रहवासी हैं।
आपसे अधिक प्रकृति को कौन समझेगा। आपने तो प्रकृति के उद्दात रूप से उसके स्वार्थपरक दोहन तक सब कुछ देखा ,सुना ,भोगा है।आप प्रकृति संरक्षण हेतु अपनी लेखनी अनवरत चलाते रहें। प्रकृति के सुंदर भाव चित्रण हेतु बहुत बधाई।

11 Feb 2021 01:31 PM

धन्यवाद श्रीमान चतुर्वेदी जी, मैंने तो अठत्तर की बाढ़ को स्वयं जिया है,तब मैं उत्तरकाशी में शिक्षा ग्रहण कर रहा था और बाढ़ आने से एक गांव में फंसे रहे, सड़कें टूट गई थी, लगभग पचपन किलोमीटर पैदल सफर किया, नाले-गधेरे पार करने पड़े पुल टूट गये थे, एक माह तक अस्थिरता बनी रही,खद्यान तक की समस्याओं से लोगों को जूझना पड़ा था। आज भी हम उनही परिस्थितियों में है।

आपको सादर प्रणाम सर प्रकृति से खिलवाड़ बहुत मंहगा है, तेजी से मौसम में बदलाव हो रहे हैं, ख़ास तौर पर उत्तराखंड में बहुत ही आपदा देखने मिल रही है यह पहाड़ से छेड़छाड़ का नतीजा है।

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