श्रीमान चतुर्वेदी जी सादर अभिवादन, आपने लेख में प्रकट भाव को जानने के उपरांत वर्तमान परिवेश में राजनैतिक क्षरण पर खेद जताया है, यह इस ओर इशारा करता है कि इस समय जब पार्टी गौण हो गई है और नेता सर्वोपरि तो फिर इतने ज्यादा सांसद विधायक चुनने के बजाय सीधे नेता को ही चुना जाए फिर वह अपने अनुसार अपने सलाहकारों का चयन करके शासन सत्ता का संचालन करें, आखिरी जवाबदेही तो नेता को ही निभानी पड़ती है। फिर इतना तामझाम खड़ा करने की आवश्यकता ही नहीं है, यही मेरा आशय है।
रितु जी,आपका आभार, आपने लेख में प्रकट भाव को सकारात्मक दृष्टि से लिया है।
वैशाली जी, आपने मेरे लेख पर अपने विचार व्यक्त किए धन्यवाद आपका! आपकी कोरोना पर लिखी कविता मैंने पढ़ी है और वोट भी किया है, तर्कसंगत रचना है, आपकी रचना को प्रतियोगिता में स्थान हासिल होने की शुभकामनाएं।
आदरणीय उनियाल साहिब सादर प्रणाम, आपका विष्लेषण सटीक है,आज के नेताओं ने सेवा को निजी स्वार्थों में बदल लिया है, सेवा अब ब्यापार बन गई है, सिद्धांत नीतियों से कोई सरोकार नहीं है, सत्ता एवं आधिकारों के लिए लोकेषणा है। आप बुद्धिमान हैं,समय के साथ राजनीति का स्तर बहुत गिर गया है।
बहुत बढ़िया लेख जयकृष्ण जी ? मेरी कविता”कोरोना बनाम क्यों रोना” का भी अवलोकन करके अपना बहुमूल्य वोट दीजिए शुक्रिया ?
अशोक जी लेख पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आभार व्यक्त करता हूं,प्रियवर भविष्य में भी अपने विचार दे कर मार्ग प्रशस्त करते रहिएगा सादर अभिवादन सहित।