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आदरणीय प्रणाम ,
आवाम की आवाज बुलंद हो ।
सादर बधाई प्रेषित ।

27 Sep 2020 11:40 PM

धन्यवाद श्रीमान श्याम सुंदर जी, आपने विस्तार से समीक्षा की है, और आपकी चिंता जायज भी है, लेकिन दुखद यह है कि सांसदों के अमर्यादित व्यवहार की आड़ में सरकार गलत राह पर चल पड़ी है, और इससे भी ज्यादा परेशानी इस बात की है कि जो संवैधानिक पदों पर बैठे हुए हैं, वह भी पक्षपात करते हुए भी शर्मिन्दगी छुपाने के लिए असत्य बयानी करते हुए नहीं थक रहे, और जन सरोकारों पर सरकारी हितों को अंजाम देते हुए, धनाढ्यों के पक्ष में खड़े होकर उस सामान्य मानवों की उपेक्षा कर रहे हैं, जो उसके हित धारक हैं, और जिनके हितों की रक्षा करने की संवैधानिक जिम्मेदारी भी उन पर है! भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति होने की राह भी खोल दी है,सब कुछ भगवान भरोसे पर है,सादर नमस्कार।

27 Sep 2020 11:26 PM

धन्यवाद श्रीमान चतुर्वेदी जी,ना जाने कब तक जूझना पड़ेगा,इनको! यूं तो जवानों को भी, इस, समय अपनी सीमाओं की रक्षा करते हुए जान गंवानी पड़ रही है, लेकिन उनके बलिदान से एक ओर देश सुरक्षित होता है तो दूसरी ओर उनके परिवार के लिए सरकार द्वारा आर्थिक सहयोग हो जाने से परिवार को थोड़ी राहत मिलने से परेशान नहीं होना पड़ता, लेकिन मजदूर-किसान को बेसहारा छोड़ दिया गया है।
सादर प्रणाम।

वर्तमान उहापोह की स्थिति की सुंदर प्रस्तुति।
सरकार न्यूनतम मजदूरी एवं न्यूनतम कृषि उत्पाद खरीदी मूल्य निर्धारण के फलस्वरूप उत्पन्न संभावित विवाद की स्थिति से बचने के लिए के अपनी सुरक्षित सत्ता निर्मित करना चाहती है। मजबूत विपक्ष के अभाव में बिना कोई विस्तृत चर्चा एवं शंका समाधान एवं विकल्पों के अभाव में इस प्रकार के तुगलकी फरमानों भोगने के अलावा जनता के पास कोई चारा नहीं है। राजनीतिक स्वार्थ के चलते सड़कों पर आकर आंदोलन करने से एवं सार्वजनिक संपत्तियों को नष्ट करने से कोई प्रयोजन हल नहीं होगा। अपितु सर्वदलीय समिति में चर्चा से इस विषय कोई समाधान खोजने का प्रयत्न करना होगा। जिसका सर्व सम्मत ज्ञापन सदन के पटल पर प्रस्तुत कर उस पर चर्चा कर संवैधानिक प्रक्रिया का पालन कर कल्याणकारी हल निकालने के लिए सरकार को बाध्य करना होगा।
नेताओं को चाहिए कि चर्चाओं के दौरान सदन की मर्यादाओं का पालन करें और अपने आचरण से देश की जनता को शर्मसार न करें। क्योंकि उनके आचरण से हर व्यक्ति जिसने उनको चुनकरअपना प्रतिनिधि बनाकर भेजा है, उनके सदन में अमर्यादित व्यवहार से शर्मसार होता है।

धन्यवाद !

वर्तमान व्यवस्था में भी ७० सालों से पिस रहे थे। देखो आगे शायद अच्छा हो। आपको सादर प्रणाम।

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