Jaikrishan Uniyal Language: Hindi 240 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Jaikrishan Uniyal 22 Jan 2021 · 2 min read भक्त वत्सल भगवान-नादान इंसान!! श्रृष्टि के ये तीन देव, ब्रह्मा विष्णु महादेव, भक्त वत्सल है यह त्रिमूर्ति, अद्भुत है इनकी श्रृष्टि; एक जन्म दाता, एक हैं पालक, एक मुक्ति के दाता जीवन सघांरक! तीनों... Hindi · कविता 2 8 849 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jan 2021 · 1 min read असमानताएं!! इधर झोंपड़ी, उधर मकान, एक में है इंसानी जिस्म, एक में तथा कथित इंसान! यह कष्ट में दुःखी हैं, पर, पर दूसरों के दुख -कष्ट सह सकते नहीं, ये सुखी... Hindi · कविता 1 6 264 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jan 2021 · 4 min read आहत मन से! उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक प्राथमिक विद्यालय की सहायक अध्यापिका, की रचना"प्रधान का चुनाव लडुंगी अबकी बारी" में अंन्य कितने ही गंभीर रूप से उसका वर्णन करते हुए, प्रधान... Hindi · लेख 1 2 282 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jan 2021 · 2 min read स्वयं को पहचानने का जतन ! समय-समय की बात है, मैं उलझ गया था अपने आप में, कुछ घटनाचक्र ही ऐसा रहा, मैं घर से बाहर नहीं निकल सका, सामान्य प्रक्रिया तो चलती रही,..................... लेकिन अपने... Hindi · कविता 1 4 612 Share Jaikrishan Uniyal 10 Jan 2021 · 2 min read हम हिन्दू हों,या कुछ और! हम हिन्दू हैं, या कुछ और, यह कहे जाने पर, करते हैं गर्व की अनुभूति, हमें भारतीय कहलाने में, महसूस होती है राष्ट्रीयता की अभिव्यक्ति! हम गांव-देहात से हैं, इसे... Hindi · कहानी 3 5 457 Share Jaikrishan Uniyal 7 Jan 2021 · 2 min read किसानों की पुकार,सुन लो सरकार!! मैं इतना ही भरोसा, तो आपसे चाहता हूं जो निर्धारित किया है मुल्य को आपने साहब, हो खरीदी उसी पर, मेरी फसलों की जनाब, बस यही तो मैं अपनी आमदनी... Hindi · कविता 3 4 297 Share Jaikrishan Uniyal 6 Jan 2021 · 2 min read राहुल आकर मिले मुझसे!!! मैं राहुल से मिलूं या राहुल आकर मिले मुझसे, वह अपनी बात कहे, और मैं अपनी बात कहूं उससे! क्यूं राजनीति में अटके हुए, उलझे उलझे रहते हो, भटका हुआ... Hindi · कविता 11 284 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jan 2021 · 1 min read विरोधी का मान या अपमान !! विरोधी को पराजित करना है दस्तूर, विरोधी को पस्त करते रहें जरुर, पर विरोधी को ना करें नेस्तनाबूद, अपने लिए ही ठीक नहीं है यह गुरुर!! विरोधी का काम ही... Hindi · कविता 3 10 320 Share Jaikrishan Uniyal 31 Dec 2020 · 3 min read हर पल एक नया अहसास !अलविदा बीस इक्कीस का आगाज !!! बीत रहा जो पल, बनने वाला है कल कल जिसे हमने जी लिया वह पल, और आने वाला है जो पल वह भी आज से शुरू होकर बन जाएगा कल,... Hindi · मुक्तक 3 7 277 Share Jaikrishan Uniyal 29 Dec 2020 · 5 min read नेताओं के इर्द-गिर्द घूमता और सिकुड़ता लोकतंत्र !! अपने देश में अब तक पार्टी आधारित लोकतंत्र संचालित हो रहा था, हालांकि नेताओं के प्रभामंडल में तब भी कोई कमी नहीं रहती थी, लेकिन पार्टी में नेता के समकक्ष... Hindi · लेख 2 8 379 Share Jaikrishan Uniyal 28 Dec 2020 · 1 min read किसान और हुक्मरान का घमासान !! किसान अपनी व्यथा को समझाने है निकला, हुक्मरानों ने बिना मांगे ही उन्हें ऐसा कुछ दे दिया, जिसे स्वीकारना हमारे लिए असहज हो रहा! बस इसी बात पर तो यह... Hindi · कविता 2 6 608 Share Jaikrishan Uniyal 19 Dec 2020 · 5 min read अब महंगाई पर कोई विरोध नहीं किया जाता! एक जमाना वह था,जब थोड़ी सी भी महंगाई बढ़ती तो आम जन से लेकर हर राजनैतिक दल इसके विरोध में सड़कों पर उतर आते थे, एक समय पर तो माननीय... Hindi · लेख 4 11 288 Share Jaikrishan Uniyal 15 Dec 2020 · 2 min read कोरोना-मास्क और पहनने का जज्बा!! मास्क को मास्क रहने दो, इसका हार ना बनाईए, हां दूरियां नहीं सदा अच्छी, किंतु थोड़ी सी तो अपनाईए, सरकारी भरोसे रहना नहीं भाई, सरकारी व्यवस्थाएं हैं चरमराई, एक अनार... Hindi · कविता 1 5 255 Share Jaikrishan Uniyal 12 Dec 2020 · 1 min read बिल लाए हटाए जा सकेंगे ! किसान ना बनाए जा सकेंगे!! ऐसा क्या मांग लिया किसान ने, जो सरकार के पास नहीं, और ऐसा क्या दे रही सरकार, किसान को जिसकी चाह नहीं, दोनों हैं जीद पर अडे हुए,मिल रही सुलह... Hindi · कविता 1 2 248 Share Jaikrishan Uniyal 6 Dec 2020 · 2 min read टाटा बिड़ला से लेकर अडानी अंबानी तक!! मैं जब छः-सात साल का था, स्कूल जाना शुरू किया, अ-आ, से लेकर,क-ख--ग लिखना और पढ़ना शुरू किया, तब कभी कभार, बड़े बुजूर्गों की गप्पेंं सुना करता था, और अक्सर... Hindi · कविता 1 2 392 Share Jaikrishan Uniyal 5 Dec 2020 · 2 min read उजाला और धूप! उजाला बनाया जा सकता है धूप नहीं, यह बात व्यंग्यकार समत सरल ने कही, और बहुत ही तर्कसंगत एवं सटीक बात कही! इसके कहने के निहितार्थ क्या हैं, मनुष्य स्वयं... Hindi · कविता 1 5 376 Share Jaikrishan Uniyal 2 Dec 2020 · 1 min read किसान की बेचैनी रंग ल्याई सडक्यों पर उमड्या छः किसान भाई किसान की बेचैनी रंग ल्याई सडक्यों पर उमड्या छः किसान भाई पैली त यूं तैं कुई भाव नी देणा छा फसल्यों को वाजिब दाम भी नी देणा छा, अभी तक... Hindi · गीत 402 Share Jaikrishan Uniyal 29 Nov 2020 · 1 min read क्या पाई हमुन उत्तराखंड बणै तैं! क्या पाई हमुन उत्तराखंड बणै तैं ठग्यां का ठग्यां रै गया उत्तराखंड बणै तैं, एनु बोना छा तब, नौकरी मिलली, रुजगार बढलो बेरुजगारी थमली, पलायन त अभी तक थमी नी... Hindi · गीत 1 2 489 Share Jaikrishan Uniyal 26 Nov 2020 · 2 min read कोरोना को रोग भायों फैलणू च घर-घर कोई भी इलाज यांको औणू नी छः नजर! कोरोना को रोग भायों,फैलणू च घर-घर, कोई भी इलाज यांको, औणु नी छः नजर, घुमा ना यूं बेफिकर,जानी की फिकर कर, कोरोना को रोग भायों,फैलणू च घर-घर... कोई भी इलाज... Hindi · गीत 1 4 559 Share Jaikrishan Uniyal 22 Nov 2020 · 2 min read जिद कहें या हठ बात तो एक ही है! हम जिद कर बैठते हैं, अपनी मनवाने के लिए, वो हठ कर डालते हैं, न मानने के लिए! हमारी जिद और उनकी हठ, जूझने लगती है, पल, दो पल, घड़ी,... Hindi · कविता 1 4 320 Share Jaikrishan Uniyal 16 Nov 2020 · 2 min read सर्वोच्च न्यायालय और वर्तमान परिवेश!! कुणाल कामरा, क्या खराब हो गया है दिमाग तुम्हारा, सर्वोच्च न्यायालय को आइना दिखाते हो, ऐसा तुम कैसे कर पाते हो, कभी सोचा भी है इसका अंजाम, क्या होगा इसका... Hindi · कविता 3 8 533 Share Jaikrishan Uniyal 10 Nov 2020 · 2 min read आग्रह-पुर्वाग्रह-और दुराग्रह!! सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे भवन्तु निरामय, सब सुखी रहें सभी निरोगी जीवन जीएं, यह आग्रह लेकर चलने वाले, हैं यह सब कितने निराले, अपने संग संग चाहते हैं सबको,, सुख... Hindi · कविता 2 2 520 Share Jaikrishan Uniyal 4 Nov 2020 · 3 min read मनुष्य में पशुता और पशुओं में सहिष्णुता!! मानव में मानव नहीं दिखता, बढ़ रही है मानव में पशुता, इधर पशुओं का व्यवहार भी बदल रहा है, अब उसमें हिंसा की जगह सहिष्णुता का भाव दिखता है, मानव... Hindi · कविता 1 4 283 Share Jaikrishan Uniyal 1 Nov 2020 · 1 min read खुशामद:=खुशी+आमद!! ,"क्षणिकाएं!" खुश धन आमद बराबर खुशामद! खुशियां मिले, बिना आमद, अपनी कहां ऐसी किस्मत, जब भी पाना होता है कुछ, तो करनी पड़ती है, यह खुशामद! खुशामद चाकरी पाने की,... Hindi · कविता 2 4 453 Share Jaikrishan Uniyal 25 Oct 2020 · 1 min read सरकार हमारी बनाओ, मुफ्त वैक्सीन लगाओ!! अन्नपूर्णा,धन लक्ष्मी जी, थी जनता को समझा रही, सरकार हमारी बना दो, मुफ्त वैक्सीन लगवा लो, वैक्सीन का मुल्य समझ आ रहा है, वोट से वैक्सीन का सौदा किया जा... Hindi · कविता 1 309 Share Jaikrishan Uniyal 21 Oct 2020 · 1 min read आत्ममुग्धता से लेकर, अंधभक्ति तक!! आत्ममुग्धता से लेकर अंधभक्ति तक पराकाष्ठा के शिखर पर रहने को आतुर आत्मावलोकन की दरकार है! चल रहा है द्वंध अंदर ही अंदर, किन्तु स्वीकारना दंभ से भरे हुए इस... Hindi · कविता 3 2 591 Share Jaikrishan Uniyal 15 Oct 2020 · 3 min read एंकर सुख! कितना सुकून है एंकर होने में, कितना सुख है एंकर बनने में, हर रोज टीवी पर दिखने को मिलता है, अच्छा होवे या बुरा घटे, अपने चश्मे से दिखाने को... Hindi · कविता 3 2 339 Share Jaikrishan Uniyal 7 Oct 2020 · 1 min read मैं निर्भया हूं, निर्भय होकर वार करुंगी!! मैं बेटी हूं भारत मां की, मुझे जाति-धर्म में ना बांटो तुम, मैं जननी बन कर, जन्म देती हूं, मुझे खांचों में ना बांधों तुम! मैं ही मां हूं, बहन... Hindi · कविता 1 2 427 Share Jaikrishan Uniyal 2 Oct 2020 · 2 min read क्या अब मान लें, आप हैं यह सब मुमकिन है? जब यह नारा सामने आया, मोदी हैं तो सब मुमकिन है, सुनकर हमें भी भ्रम हुआ, यह सब कैसे मुमकिन है! लेकिन जब पुलवामा घट गया, तो प्रतिक्रिया में बालाकोट... Hindi · कविता 2 4 416 Share Jaikrishan Uniyal 27 Sep 2020 · 2 min read बिलों के बिल में मजदूर-किसान!! सरकार बिल लेकर आई है, एक बिल में किसान, एक बिल में मजदूर भाई है, दोनों ही संतुष्ट नहीं, लेकिन सरकार अडिग है, इस बिल की नितांत जरुरत है, इससे... Hindi · कविता 3 5 215 Share Jaikrishan Uniyal 16 Sep 2020 · 2 min read हम प्राइम टाइम देखने में लगे हैं! सुशांत दुनिया से चले गए, रिया को हो गई जेल, अब कंगना की एंट्री हुई,देख सियासत का खेल! सुशांत एक बार नहीं मरा,बार बार मारा गया, और रिया को हत्यारा... Hindi · कविता 2 4 254 Share Jaikrishan Uniyal 10 Sep 2020 · 1 min read पप्पू की बातें!! जिसे वह पप्पू बता रहे थे, उसे उसके भी उसे,पप्पू ठहरा रहे थे, हम भी उसे पप्पू ही जता रहे थे! वो पप्पू हम सबको समझा रहा था, इनका कहा... Hindi · कविता 3 10 412 Share Jaikrishan Uniyal 4 Sep 2020 · 2 min read प्राथमिकता की विश्वसनीयता! प्रतिबद्धता एवं व्यवस्था का आत्मावलोकन!!!! प्राथमिकता है हर किसी को मिले सुविधाएं, जीवन जीने से लेकर,खाने-पीने तक की, पढ़ने-लिखने, और कहने-सूनने की, सोचने-समझने, और चयन करने की, कमाने से लेकर,खर्च करने की। किन्तु प्रतिबद्धता है,जीओ... Hindi · कविता 3 4 521 Share Jaikrishan Uniyal 2 Sep 2020 · 2 min read कांग्रेस!! "भूत-बर्तमान-भविष्य"!! सौ सालों से अधिक का इतिहास है जिसका, कांग्रेस नाम है उसका! एक फिरंगी ने जिसे जन्म दिया है, एक फिरंगन के हाथों में दम तोड रही है, आज मरी-अब... Hindi · कविता 2 4 341 Share Jaikrishan Uniyal 1 Sep 2020 · 3 min read भगवान भरोसे! चलो भाई राम भरोसे, राम भरोसे,राम भरोसे, कभी सुना था ये गाना, इतने वर्षों बाद याद दिलाया, निर्मला सीतारमण ने यह तराना। अर्थ व्यवस्था जो बेजार है, भगवान इसका जिम्मेदार... Hindi · कविता 1 4 538 Share Jaikrishan Uniyal 29 Aug 2020 · 3 min read ये वादा तो न किया था !! साल चौदह में आपने कहा था, अच्छे दिनों को लाने का वादा किया था, दो करोड़ नौकरियां हम देंगे, पंन्द्रह लाख को बैंक खाते में भेजेंगे, सब का साथ सबका... Hindi · कविता 3 4 290 Share Jaikrishan Uniyal 26 Aug 2020 · 2 min read प्रशांत तुम ऐसे तो न थे!! प्रशांत तुम ऐसे तो न थे, फिर क्यों ऐसा कर रहे, तुम प्रशांत हो, हमने तुम्हें चेताया, तुम फिर भी शान्त हो, तुमसे क्षमा मांगने को कहा, तुमने इसे नकार... Hindi · कविता 5 4 461 Share Jaikrishan Uniyal 25 Aug 2020 · 3 min read एक मौत-और इतना शोर! सुशांत-चिर-शान्त,प्रिय एवं परिजन आक्रान्त, जन-मानस दिग्भ्रमित, और मिडिया अशांत। हे सुशांत तुम क्यों मर गये, मिडिया वाले तड़प रहे, जो तुम ना मरे होते, तो यह और क्या दिखा रहे... Hindi · कविता 2 5 263 Share Jaikrishan Uniyal 23 Aug 2020 · 2 min read समय की गति, और सामाजिक परिवेश!! यह कैसा समय आया, अपना भी दिख रहा पराया, पहले मिलने पर हर्षित हो जाया करते थे, अब दिखते हैं तो, दूर से ही मुस्करा कर निकल जाते हैं। बिमारियां... Hindi · कविता 2 2 246 Share Jaikrishan Uniyal 13 Aug 2020 · 2 min read ये अब मुझे, मरने भी नहीं देती!! बना-और बनी जब गये हम बन, मिल गया एक नव जीवन, अब तक मात -पिता एवं भाई भौजाई, यही तो थे अपने मन मस्तिष्क में समाए, कभी-कभार बहने और भतीजे,... Hindi · कविता 3 8 466 Share Jaikrishan Uniyal 6 Aug 2020 · 2 min read हे निरीह प्राणी तू चाहता क्या है? हे निरीह प्राणी तू क्या चाहता है, क्या मैं अपना अधिकार छोड़ दूं, क्या मैं अपना विवेक खो दूं, और तेरी खिदमत में लग जाऊं, अपने अरमानों को जला दूं,... Hindi · कविता 1 4 336 Share Jaikrishan Uniyal 6 Aug 2020 · 3 min read रक्षा सूत्र से रक्षा बंधन तक, का पड़ाव!! कहते हैं पहली बार, माता लक्ष्मी ने, राजा बलि को, रक्षा सूत्र बांध कर, इसका सूत्र पात किया था, चुंकि,श्री हरि विष्णु जी को, राजा बलि ने अपने महल में,... Hindi · कविता 2 2 359 Share Jaikrishan Uniyal 3 Aug 2020 · 2 min read स हा रा !! जब जीवन में हताशा भर जाए, मन उच्चाट सा हो जाए, जीने की इच्छा मिट जाए। तब कांधे पर कोई हाथ धरे, और मुस्कान भरे लहजे में कहे, क्या बात... Hindi · कविता 3 10 436 Share Jaikrishan Uniyal 28 Jul 2020 · 2 min read मोदी-जिनपिंग वार्ता!! एक काल्पनिक आधार!? हाल के घटनाक्रम से, मोदी जी को आघात लगा, जब से चीन ने, सीमाओं पर अतिक्रमण किया, तब मोदी जी ने, जिनपिंग से कहा, भाई मेरे तू ये बता,क्या है... Hindi · कविता 3 4 320 Share Jaikrishan Uniyal 26 Jul 2020 · 1 min read इंच भर!! इंच है एक पैमाना, चाहे कुछ भी हो नापना, किन्तु बन गया है यह, प्रतिष्ठा को आंकने का , एक अजीब सा नजराना। हम एक इंच भी अपनी, जमीन नहीं... Hindi · कविता 4 8 491 Share Jaikrishan Uniyal 19 Jul 2020 · 2 min read .................. शोषण!! शोषण एक मानसिक बिमारी है, शोषित होना लाचारी है, हम इसे सहजता से लेते हैं, हर रोज,हर बात पर शोषित होते रहते हैं, हमें अपनी सामर्थ्य का आभास रहता है,... Hindi · कविता 3 2 281 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jul 2020 · 2 min read ................................मंडियां!! देखा है मैंने भी कभी, मंडियों को लगते हुए, बचपने में होके उत्सुक, जाते थे हम दौड़े हुए, आज गांव के तप्पड में, बैलों की मंडी लगने को है, बैलों... Hindi · कविता 2 6 621 Share Jaikrishan Uniyal 14 Jul 2020 · 2 min read ..................... करवट!! करवट, ऐसा कौन है जो करवट नहीं बदलता, बदलना पड़ता है, जब एक ही स्थिति में, रहते हुए थक जाते हैं, तो मजबूरन करवट बदल जाते हैं। जीवन में ना... Hindi · कविता 5 8 706 Share Jaikrishan Uniyal 12 Jul 2020 · 1 min read एनकाउंटर!! फिर हो गया है एनकाउंटर, पर पहली बार नहीं हुआ है, अनेकों बार इस प्रक्रिया को अपनाया गया है, तो अब कोई नयी बात नहीं हुई है। नया तो बस... Hindi · कविता 5 4 488 Share Jaikrishan Uniyal 12 Jul 2020 · 2 min read अब आ भी जाओ तुम अवतारी! अब आ भी जाओ तुम अवतारी, राह देख रहे हैं हम तुम्हारी, सुनते हैं तुम, आते रहते हो, भक्तों के कष्टों को हरते हो, मैं भी तो हूं भक्त तुम्हारा,... Hindi · कविता 6 8 279 Share Previous Page 2 Next