Comments (4)
Jaikrishan Uniyal
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2 Sep 2020 10:59 PM
धन्यवाद श्याम सुंदर जी, समाज में रहते हुए, यह भी आंकना ज़रुरी है कि उस संगठन में जिसमें हमारे पूर्वजों का खून-पसीना बहा, हमने उसके शासन को निकट से देखा है, आज वही संगठन यह तय नहीं कर पा रहा है,कि किसे बागडोर सौंपी जाए, वह भी तब जब खुद को इस जिम्मेदारी से कोई अलग रहना चाहता है, फिर भी उसी को बाध्य करके अपनी जी हुजूरी से निकटता का बोध कराने में लगे हुए हैं।सादर अभिवादन सहित।
2 Sep 2020 08:54 PM
आपको सादर अभिवादन। एक सच्चाई है।
2 Sep 2020 07:23 PM
यथार्थ की सुंदर संदेशपूर्ण प्रस्तुति।
धन्यवाद !
धन्यवाद श्रीमान चतुर्वेदी जी, जो हम देख रहे हैं,उसकी कल्पना कभी हमारे बुजुर्गों ने नहीं की होगी, हमारे बुजुर्ग कभी कांग्रेसी होने में गर्व महसूस करते थे, मैंने भी कांग्रेस को अपना योगदान दिया है, किन्तु पिछले आठ वर्षों से मैं स्वयं को कांग्रेसी कहलाने से बचने का प्रयास करता रहा हूं, जबकि किसी सार्वजनिक समारोह में शामिल होने पर लोग मुझे इसके साथ जोड़ कर ही संबोधित करते रहे हैं, आज यह हालात कष्ट पहुंचाते हैं,हो अपनी पीड़ा को व्यक्त किया है,सादर प्रणाम।