धन्यवाद शेख जाफर जी,आपको मेरी रचना पंसद आई, और शायद उसमें व्यक्त भाव को ज्यादा पसंद किया हो! मुझे जो उचित प्रतीत होता है मैं प्रयास करता हूं,उस पर अपनी राय व्यक्त करुं, किसी को पसंद आती है, प्रशंसा मिलती है, किसी को नागवार गुजरी तो उसकी लानत मलामत भी झेलनी पड़ती है, और यह स्वीकार करके चलना पड़ता है कि हम अपने विचार किसी पर थोप नहीं सकते, सिर्फ व्यक्त कर सकते हैं! बाकी पढ़ने वाले पर निर्भर करता है!सस्नेह अभिवादन।
आपका कहना किसी हद तक तो ठीक है, कहने का तरीका बहुत उपयोगी नहीं रहा है, कम-से-कम चौकीदार चोर है के बारे में तो स्वंय ही बहुत असहमत रहा हूं, और अपने आसपास के उन लोगों को आगाह भी करता रहा हूं कि यह प्रलाप इन्हें ही बैक फायर करेगा! लेकिन मुद्दे जो उठाए गए थे, अब सचाई के निकट प्रतीत हो रहे हैं, फिर भी मैं आपकी समालोचना की बररबरी करने में सक्षम नहीं हूं, तथा आपकी टिप्पणी से प्ररेणा प्राप्त करता हूं, हां जहां यह लगता है कि,मेरा पक्ष सही है तब अपनी बात रखने का प्रयास करता हूं! आशा है आप इसे सहज भाव से स्वीकारेंगे, किसी सामान्य नागरिक की भांति धमकाने की चेतावनी यों से तो कितने ही बार रुबरु होता रहा हूं, उनके प्रति भी मैं कोई अनुचित टिप्पणी करने की चेष्टा नहीं करता, सिवाय इसके कि अपनी राय को मजबूती से दोहरा भर देता हूं! सादर प्रणाम,श्याम सुंदर जी।
बहुत खूब ।
बधाई प्रेषित ।
सी बी आई,,ई डी, नारकोटिक्स, और भी एजेंसियां हैं, डराने धमकाने के लिए! या काम करने के लिए हैं? इस पर विचार करें श्रीमान सोलंकी जी!आगाह करने के लिए धन्यवाद!
धन्यवाद श्रीमान चतुर्वेदी जी!
पप्पू का अंदाज़ -ए- बयाँँ गलत था।
उसकी मतलब की बातों में भी बदग़ुमानी का सबब था।
श़ुक्रिया !
उसने नोट बंदी पर ध्यान खिंचा था,
उसने जी एस टी को भी ठीक नहीं कहा था,
उसने रोजगार पर भी हमें चेताया था!….
शेर बनकर दहाड़ रहे हो ।।
CBI , ED पिंजरा लिए घूम रही है ।
सही है, आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
धन्यवाद उमा जी!