Jaikrishan Uniyal Tag: कविता 210 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Jaikrishan Uniyal 30 Oct 2021 · 2 min read असहज सवाल! जिन बातों में सहमति नहीं होती, बार बार जब वह सामने आ जाती, दिल चाहता है उनसे ना हो जाए सामना, जिनके जवाब देने में मन हो जाए अनमना, अक्सर... Hindi · कविता 3 4 527 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jul 2021 · 1 min read चिंता डायन! जाने कब से आकर मुझमें, रच बस गई ये चिंता डायन, थोड़ी सी भी कोई बात हो जाए, सताने लगती है चिंता डायन! जब तक मैं इससे, ना हुआ था... Hindi · कविता 2 2 489 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jul 2021 · 2 min read एक उम्र के बाद! एक उम्र के बाद, आदमी में, बदलने लगते हैं , विचार, आदतें, तौर-तरीके, उम्मीदें, और, कार्य व्यवहार! एक उम्र के बाद, उम्र की, एक निर्धारित उम्र होती है, यानी समय... Hindi · कविता 3 2 458 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jun 2021 · 2 min read गन्ना ना दे,भेली देंवे! अपने बड़े बुजुर्गो से सुना था, गन्ना ना दें,भेली देंवे! सुन कर बड़ा अजीब लगता था, यह वृद्ध ऐसा क्यों कहता है! यह पहेली अब समझ में आई, जब काम... Hindi · कविता 2 7 376 Share Jaikrishan Uniyal 10 Jun 2021 · 4 min read गृहस्थ प्रबंधन! पांच जनों का हो परिवार, तो राशन कितना लगता है, एक वक्त के भोजन का, इतना तो प्रबंधन करना पड़ता है, गेहूं चावल मंडवा झंगोरा, आधे सेर का एक कटोरा!... Hindi · कविता 4 4 637 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jun 2021 · 1 min read सकारात्मकता का बोध! आज कल चर्चा में है, सकारात्मक रहना, और नकारात्मकता से दूर रहना, बतलाया जा रहा है। तो बताए देते हैं , हम तो सकारात्मक ही रहे हैं, रहते हैं, और... Hindi · कविता 2 332 Share Jaikrishan Uniyal 31 May 2021 · 1 min read पल भर की खबर नहीं! पल भर की खबर नहीं है, ख्वाब संजोए वर्षों के, झूठी सारी मोह माया है, सपने बुनते हैं अपनों के! कौन साथ में गया है किसके, समय बिताया जिन सबने,... Hindi · कविता 4 6 508 Share Jaikrishan Uniyal 25 May 2021 · 2 min read छलकते आंसू आंखों में क्यों आ जाते हैं आंसू आकर के क्या जतलाते हैं आंसू, चोट लगती है जब शरीर पर, आह उभरती है तब मुख पर, तब निकलने लगते हैं आंसू... Hindi · कविता 2 2 604 Share Jaikrishan Uniyal 20 May 2021 · 2 min read हो जाए ना बत्ती गुल! ये ऐसा कैसा समय है आया, हो रही है जब बत्ती गुल, घर पर ऐसे ठिठके हैं, जैसे हम हों बिल्कुल नाकुल (ना काबिल)! कभी बिना काम के भी निकल... Hindi · कविता 3 3 358 Share Jaikrishan Uniyal 18 May 2021 · 2 min read झम झमा झम हुई बरसात! आज रात को जब हुई बरसात, बड़े दिनों के बाद हुई बरसात, खुब जमकर हुई बरसात, झम झमा झम हुई बरसात! गर्मी से जब हम हांफ रहे थे, कुलर पंखे... Hindi · कविता 1 2 731 Share Jaikrishan Uniyal 16 May 2021 · 3 min read निन्यानबे के फेर में! यूं तो घर गृहस्थी को चलाने के फेर में, लग जाते हैं हम अंधेर में! सब ही जुटे पड़े हैं, निन्यानबे के फेर में! मजदूर मजूरी करता है, थोड़ी ही... Hindi · कविता 2 7 418 Share Jaikrishan Uniyal 10 May 2021 · 2 min read चले जाना है इक दिन!! चले जाना है, इक दिन, चले जाना है हम सबको, अपने अपने बुलावे पर, अपने लिए निर्धारित दिन, क्या है यह अपना पराया, यह सब जग की झूठी माया, क्या... Hindi · कविता 3 6 449 Share Jaikrishan Uniyal 8 May 2021 · 2 min read महानगरों का तिलिस्म कहें या चकाचौंध! रोजी-रोटी की भागदौड़ में, गांव के वह दिन, घर खेत खलिहान, हुआ करती थी अपनी पहचान, जब सुविधाओं की चाहत ने, दिया हमें झकझोर, चले आए हम घर बार छोड़,... Hindi · कविता 1 2 416 Share Jaikrishan Uniyal 4 May 2021 · 2 min read एक डोज सच का भी! हम दूसरों के सच बता रहे हैं, अपने सच को छुपा रहे हैं, हां यह सच है गलतियां हुई हैं भारी, पर क्या हमने भी निभाई अपनी जिम्मेदारी, हमने भी... Hindi · कविता 2 12 347 Share Jaikrishan Uniyal 2 May 2021 · 2 min read पक्ष-विपक्ष एवं निष्पक्ष! हमारा रहा है सदा ही एक पक्ष, हम कभी नहीं रहे हैं निष्पक्ष, इसकी शुरुआत अपने घर से ही कर लें, अपने परिवार के किसी भी सदस्य के रूप में,... Hindi · कविता 1 4 476 Share Jaikrishan Uniyal 30 Apr 2021 · 2 min read आपदा को अवसर में बदलने की कला! आपदा को अवसर में बदलने की कला में, महारथ हासिल कर ली है अब मुनाफा बाजों ने, बीमार पर है आपदा, परिवार को सुविधा का अभाव, कालाबाजारी में मिलती है,दवा,... Hindi · कविता 305 Share Jaikrishan Uniyal 27 Apr 2021 · 2 min read मनुष्य का चरित्र: है कितना विचित्र! मनुष्य का चरित्र, है कितना विचित्र, अपना ही देखते हैं फायदा, दूसरे के लिए अलग नियम कायदा, दूसरों से करते हैं ऐसी अपेक्षा, दूसरे की कर लेते हैं उपेक्षा, हमें... Hindi · कविता 1 4 478 Share Jaikrishan Uniyal 25 Apr 2021 · 2 min read ये भेदभाव क्यों हुआ! लोग भेदभाव करते हैं, यह सुना करते थे! कभी कभार देखने को भी मिला, भेदभाव जब किया गया!. इसे करने का उद्देश्य भी रहा, था अपने और पराए का संदेश... Hindi · कविता 2 6 1k Share Jaikrishan Uniyal 24 Apr 2021 · 2 min read वो भी क्या दिन थे! वो भी क्या दिन थे, लगा रहता था घर पर मेहमानों का आना-जाना प्रतिदिन, कब कौन सा मेहमान आ जाए, कब कौन सा चलने को कहे, कौन रुकेगा कितने दिन,... Hindi · कविता 1 6 545 Share Jaikrishan Uniyal 23 Apr 2021 · 2 min read सच कहूं, डर तो लगता है! है मृत्यु निश्चित, यह जानता हूं मैं, पर, मर ना जाऊं ऐसे ही, डरता हूं मैं! डरा रही है यह बिमारी, कह रहे हैं जिसे महामारी, पर, घोषित नहीं कर... Hindi · कविता 2 8 478 Share Jaikrishan Uniyal 20 Apr 2021 · 1 min read माता का दरबार सजा है! माता का दरबार सजा है,जय मां भवानी भक्तों का अंबार लगा है,जय मां भवानी! शैल पुत्री बनकर आई, मां भवानी, ब्रह्मचारिणी रूप धरे है मां भवानी, चन्द्र घंटा बनकर उभरी... Hindi · कविता 1 2 524 Share Jaikrishan Uniyal 18 Apr 2021 · 2 min read लो लौट आया कोरोना ! बीत गया एक साल, बजाते रहे गाल, ताली बजाई, थाली बजाई, दीप जलाए, मोमबत्तियां जलाई, किसी किसी ने टार्च जलाई, कुछ लोगों ने मोबाइल से रोशनी बनाई, हर उपाय वह... Hindi · कविता 2 6 454 Share Jaikrishan Uniyal 29 Mar 2021 · 2 min read योग्यता का भ्रम! ना पालो तुम, यूं योग्यता का भ्रम, नहीं है कोई किसी से कम, पहुंचे हो जहां पर तुम, पहुंच सकते थे वहां पर हम, जिसे तुम अपनी योग्यता बताते हो,... Hindi · कविता 1 6 604 Share Jaikrishan Uniyal 23 Mar 2021 · 3 min read नेतृत्व में नैसर्गिक गुणों की विधा ! हम लोकतंत्र में जीवन जीने वाले हैं लोग, हमारे चुने हुए ही हमारे नेता कहलाते हैं, यह परिक्षा देने आते हैं वह, और जब चुन लिए जाते हैं, तो हमारे... Hindi · कविता 1 8 413 Share Jaikrishan Uniyal 12 Mar 2021 · 2 min read अपना प्यारा देश हमारा!! अपना प्यारा भारत देश, बोली भाषा हैं अनेक, रहन सहन में है अनेकता, खान पान में विविधता, जलवायु नहीं एक समान, कहीं पर बहती शीत लहर है, कहीं पर गर्म... Hindi · कविता 1 317 Share Jaikrishan Uniyal 7 Mar 2021 · 2 min read समय चक्र और जीवन सफर ! माता के गर्भ से, प्रारंभ हो गया, जो जीवन का सफर, और फिर, एक निर्धारित समय पर, आ गये हम धरती मां की गोद पर, तिल तिल कर, कब बड़े... Hindi · कविता 1 4 449 Share Jaikrishan Uniyal 28 Feb 2021 · 3 min read " मैं "के चक्कर में , जब आ गया मैं! जब तक मैं, बिन" मैं "के था, इसका ना कोई अता पता था, अपनी मस्ती में ही खुश था! ना जाने इसने कब आ दबोचा, कभी ना मैंने इस पर... Hindi · कविता 1 6 474 Share Jaikrishan Uniyal 27 Feb 2021 · 1 min read आंदोलन पर प्रश्न नाहक! आंदोलन से कोई यों ही नहीं जुड़ जाता, जब तक जिसके अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा नहीं हो जाता, वह आंदोलन की राह नहीं अपनाता! जब हो जाएं प्रतिकूल परिस्थिति, तब... Hindi · कविता 1 1 272 Share Jaikrishan Uniyal 26 Feb 2021 · 3 min read आंदोलन ! जो जूड़ गया जीवन में!! बांदल नदी पर, इस बार, खनन नहीं, अपितु, हो रहा था, बाढ़ सुरक्षा कार्य, मांग की गई थी, जिसकी, अनेकों बार, खुश थे हम, सुरक्षा के भाव से, बच जाएंगे,... Hindi · कविता 1 326 Share Jaikrishan Uniyal 25 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन मेरी नियति! आंदोलन मेरे भाग्य में, आंदोलन ही मेरी नियति, इसका हुआ आभास मुझे, जब बन गई ये परिस्थिति, बात यह सतान्वे अठ्ठानवे की, जब जिला प्रशासन ने, वह नदी पट्टे पर... Hindi · कविता 1 286 Share Jaikrishan Uniyal 25 Feb 2021 · 3 min read आंदोलन काल! उन्नीस सौ अठ्ठासी में पंचायत के चुनाव का बिगुल बजा, अन्य लोगों की तरह, मैंने भी चुनाव लडा, अपने ही साथी संगी, बन गये प्रतिध्वंदी, खुब हुई हममें जंग, जीत... Hindi · कविता 3 6 472 Share Jaikrishan Uniyal 24 Feb 2021 · 3 min read गृहस्थ जीवन और जन सरोकार! सन उन्नीस सौ ईक्कासी, मैं हुआ गृहस्थी, सन बयासी में, बना सदस्य पंचायत में, एक ओर घर गृहस्थी की थामना, दूसरी ओर जन सरोकारों से होता सामना, दोनों में संतुलन... Hindi · कविता 1 2 284 Share Jaikrishan Uniyal 22 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन से साक्षात्कार! यह किस्सा है तब का, जब मैं प्रशिक्षु बना पौलीटैकनिक का, जिस पाठ्यम में प्रवेश लिया, नाम उसका का कामर्शियल प्रैक्टिस था, दो वर्षीय यह डिप्लोमा, इस से पूर्व जिसने... Hindi · कविता 1 439 Share Jaikrishan Uniyal 21 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन से वास्ता! जब मैं बारहवीं का छात्र था, और चल रही थी बोर्ड परीक्षा, नकल करते पकड़े गए कुछ छात्र, मचाने लगे वह उत्पात, अब अगले दिन की परिक्षा को रोकने लगे,... Hindi · कविता 2 2 531 Share Jaikrishan Uniyal 19 Feb 2021 · 2 min read आंदोलन का पहला पाठ! आंदोलन कारी! यह है उस दौर की बात, जब मैं गया कक्षा आठ, उम्र थी तब चौदह वर्ष, चुना गया मैं अध्यक्ष, हो रहा था मुझे अति हर्ष, मिला मुझे था एक... Hindi · कविता 1 3 541 Share Jaikrishan Uniyal 11 Feb 2021 · 2 min read आपदाओं के बीच जीए गये ये दसक! जनवरी से लेकर दिसंबर का अंतराल, बीतते गए साल दर साल, होती रही है वर्ष भर ऐसी हलचल, एक ऐसा सच अविचल अटल। कनोडिया गाड़ की झील से लेकर,(उत्तरकाशी में... Hindi · कविता 3 10 267 Share Jaikrishan Uniyal 5 Feb 2021 · 1 min read काहे का अन्नदाता!! जब हो गया खूब फजीता, तब सड़कों पर उतरा अन्न उपजाता, मुझसे क्यों रुठ गये,शासक भ्राता, मैं तो हूं सबका अन्नदाता। यह कानून नहीं मेरे हित में, वापस ले लो... Hindi · कविता 5 7 338 Share Jaikrishan Uniyal 3 Feb 2021 · 1 min read दूरी का नया प्रतिमान!!(पैमाना) अभी तक दूरी नापने का, पैमाना जो आम खास था, सेंटीमीटर इंच फिट मीटर, और किलोमीटर के नाम था। यूं तो आपसी समझ संबंध को भी, दूरी से आंका जाता... Hindi · कविता 2 5 329 Share Jaikrishan Uniyal 28 Jan 2021 · 1 min read शरद का अहसास ! शरद को यूं तो एक ऋतु से जाना जाता है, किन्तु शरद पर मनुष्य का अख्तियार ज्यादा है, ऋतु तो वर्ष भर में एक बार आकर दे जाती है दस्तक,... Hindi · कविता 2 266 Share Jaikrishan Uniyal 24 Jan 2021 · 1 min read नाक की लड़ाई !! अब लग रहा है किसान आन्दोलन, बन गया है नाक की लड़ाई, ना तो सरकार ने मानी बात, ना मान रहे हैं किसान भाई! देश इसे देख रहा है टुकर-... Hindi · कविता 1 6 557 Share Jaikrishan Uniyal 22 Jan 2021 · 2 min read भक्त वत्सल भगवान-नादान इंसान!! श्रृष्टि के ये तीन देव, ब्रह्मा विष्णु महादेव, भक्त वत्सल है यह त्रिमूर्ति, अद्भुत है इनकी श्रृष्टि; एक जन्म दाता, एक हैं पालक, एक मुक्ति के दाता जीवन सघांरक! तीनों... Hindi · कविता 2 8 798 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jan 2021 · 1 min read असमानताएं!! इधर झोंपड़ी, उधर मकान, एक में है इंसानी जिस्म, एक में तथा कथित इंसान! यह कष्ट में दुःखी हैं, पर, पर दूसरों के दुख -कष्ट सह सकते नहीं, ये सुखी... Hindi · कविता 1 6 241 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jan 2021 · 2 min read स्वयं को पहचानने का जतन ! समय-समय की बात है, मैं उलझ गया था अपने आप में, कुछ घटनाचक्र ही ऐसा रहा, मैं घर से बाहर नहीं निकल सका, सामान्य प्रक्रिया तो चलती रही,..................... लेकिन अपने... Hindi · कविता 1 4 532 Share Jaikrishan Uniyal 7 Jan 2021 · 2 min read किसानों की पुकार,सुन लो सरकार!! मैं इतना ही भरोसा, तो आपसे चाहता हूं जो निर्धारित किया है मुल्य को आपने साहब, हो खरीदी उसी पर, मेरी फसलों की जनाब, बस यही तो मैं अपनी आमदनी... Hindi · कविता 3 4 275 Share Jaikrishan Uniyal 6 Jan 2021 · 2 min read राहुल आकर मिले मुझसे!!! मैं राहुल से मिलूं या राहुल आकर मिले मुझसे, वह अपनी बात कहे, और मैं अपनी बात कहूं उससे! क्यूं राजनीति में अटके हुए, उलझे उलझे रहते हो, भटका हुआ... Hindi · कविता 11 268 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jan 2021 · 1 min read विरोधी का मान या अपमान !! विरोधी को पराजित करना है दस्तूर, विरोधी को पस्त करते रहें जरुर, पर विरोधी को ना करें नेस्तनाबूद, अपने लिए ही ठीक नहीं है यह गुरुर!! विरोधी का काम ही... Hindi · कविता 3 10 303 Share Jaikrishan Uniyal 28 Dec 2020 · 1 min read किसान और हुक्मरान का घमासान !! किसान अपनी व्यथा को समझाने है निकला, हुक्मरानों ने बिना मांगे ही उन्हें ऐसा कुछ दे दिया, जिसे स्वीकारना हमारे लिए असहज हो रहा! बस इसी बात पर तो यह... Hindi · कविता 2 6 540 Share Jaikrishan Uniyal 15 Dec 2020 · 2 min read कोरोना-मास्क और पहनने का जज्बा!! मास्क को मास्क रहने दो, इसका हार ना बनाईए, हां दूरियां नहीं सदा अच्छी, किंतु थोड़ी सी तो अपनाईए, सरकारी भरोसे रहना नहीं भाई, सरकारी व्यवस्थाएं हैं चरमराई, एक अनार... Hindi · कविता 1 5 236 Share Jaikrishan Uniyal 12 Dec 2020 · 1 min read बिल लाए हटाए जा सकेंगे ! किसान ना बनाए जा सकेंगे!! ऐसा क्या मांग लिया किसान ने, जो सरकार के पास नहीं, और ऐसा क्या दे रही सरकार, किसान को जिसकी चाह नहीं, दोनों हैं जीद पर अडे हुए,मिल रही सुलह... Hindi · कविता 1 2 228 Share Jaikrishan Uniyal 6 Dec 2020 · 2 min read टाटा बिड़ला से लेकर अडानी अंबानी तक!! मैं जब छः-सात साल का था, स्कूल जाना शुरू किया, अ-आ, से लेकर,क-ख--ग लिखना और पढ़ना शुरू किया, तब कभी कभार, बड़े बुजूर्गों की गप्पेंं सुना करता था, और अक्सर... Hindi · कविता 1 2 374 Share Page 1 Next