धन्यवाद राजेश व्यास जी,बस अपना आंकलन किए जा रहा हूं और उसे साझा करने का प्रयास भी! सादर अभिवादन।
बेहतरीन..??
सच कहना दुरूह कार्य है, क्योंकि कोई अपने आप को झुंठा मानता ही नहीं।
सुंदर सृजन प्रणाम।
धन्यवाद चतुर्वेदी जी, सादर प्रणाम।
प्रशांत जी आप का कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है, यह तो हो गया है, हिन्दू मुस्लिम भी दिखाई दे रहा है कम-से-कम असम में पुंडूचेरी में, बंगाल में भी यही हाल रहा, यह तो दीदी ने सबसे यह अपील करके उन्हें बैकफुट पर कर दिया कि किसी एक को नेता नहीं चुना, यदि उसने शुभेन्दु पर दांव लगाया होता तो ममता को लाले पड़ गए होते, वह भी किसी अधिनायक से कम है क्या! बाकी प्रबंधन पी के ने करके दिखाया है,, उनकी कामयाबी की यह बडी मिसाल है, यूपी को छोड़कर वह सब जगह सफल ही रहा है, लेकिन दुःख हुआ है कि वह अब अपने कार्य से विरत हो रहे हैं!
धन्यवाद रजक जी सादर प्रणाम।
धन्यवाद डॉ साहब।
सही कहा आपने आपको सादर नमस्कार धन्यवाद।
अच्छा लिखा है सर आपने किन्तु यहां पर आप जो सरकार की चूक बता रहे हैं वह चूक नही बल्कि नजर अंदाजी थी, उपेक्षा थी, और चुनावी जीत का स्वार्थ था।
चूक उससे होती है जिसे पता ना हो किन्तु केंद्र सरकार के पास राष्ट्रीय और अंतरास्ट्रीय प्रकार के विशेषज्ञ है जो लगातार राष्ट्रीय और अंतरास्ट्रीय स्तर पर सरकार को आगाह कर रहे थे ,इसके बाद आप इसको चूक नही कह सकते बल्कि इसे सरकार का घमंड,अज्ञानता, और बेखबरी थी। साथ ही अपने झूठ बोलने की क्रिया ओर अतिविस्वास। जबकि उनको सोचना चाहिए कि वे वायरस है इंसान नही। इसकी दुनिया केवल हाँ और ना पर ही चलती है। और यही हुआ सरकार भारतीय जनता को बेबकुफ़ बनाती रही और नए नए स्तरों पर धन उड़ाती रही और जरूरत की चीजों को नजरअंदाज कर दिया क्योकि सरकार को लगने लगा कि जैसे हिन्दू-मुस्लिम ,मंदिर-मस्जिद करके जनता को मूर्ख बना रहे हैं वैसे ही ईस्वर कोरोना से जीत का सहरा बांध लेते है ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी
सुंदर कविता
धन्यवाद श्रीवास्तव जी, आप सब संबल प्रदान करते रहे, मैं प्रयास करने का यत्न करता रहूंगा! सादर अभिवादन।