Comments (4)
1 Jan 2024 08:57 AM
अत्यंत सार्थक लेखन, प्रणाम सर..नमक का दारोगा पड़ते हुए आपकी कविता पर आने का अवसर मिला।
Jaikrishan Uniyal
Author
1 Nov 2021 09:56 AM
धन्यवाद चतुर्वेदी जी,सादर प्रणाम।
31 Oct 2021 10:21 PM
बहुत सुंदर सर नमस्कार। सही कहा आपने, लोगों की फितरत है, जिले पर नमक छिड़कने की।
प्रिया जी, क्षमा चाहता हूँ, विलंब से आभार व्यक्त कर रहा हूं! घरेलू कार्य से इस ओर समय नहीं दे पाया था!