Comments (6)
Jaikrishan Uniyal
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11 May 2021 10:51 AM
उधार की सांसों से जिया जा रहा है आज कल, ईश्वर करे अपनी व्यवस्था को अपने हाथों में पुनः ले लें, ताकि मनुष्य उन्मुक्त भाव से सांसे ग्रहण कर सकें! सादर नमस्कार व्यासजी।
Jaikrishan Uniyal
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11 May 2021 10:48 AM
धन्यवाद श्रीमान चतुर्वेदी जी सादर प्रणाम।
11 May 2021 01:30 AM
जीवन दर्शन यथार्थ की सुंदर अभिव्यक्ति !
धन्यवाद !
10 May 2021 05:51 PM
प्रणाम आदरणीय।
जाना है,सभी को तो,
बस ध्यान रखना है,
जब तक सांसे,
ईमानदारी से ही कमाना है।।
धन्यवाद
10 May 2021 04:16 PM
बहुत सुंदर आपको सादर प्रणाम।
धन्यवाद श्याम सुंदर जी सादर प्रणाम, हां यह जीवन दर्शन ही तो है जो जीने के साथ जीवन जीने की बाधाओं को अभिव्यक्ति देकर यथार्थ के दीदार कराने को प्रेरित कर रहा है।