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23 Apr 2021 09:35 PM

धन्यवाद श्रीमान चतुर्वेदी जी सादर प्रणाम, कोशिश की है वर्तमान परिवेश को रेखांकित किया जाय!अव्यस्थाओं ने हमारे सिस्टम को खोखला कर दिया है,प्यास लगने पर कुआं खोदने निकलते हैं,तब तक तो कितने ही लोगों के प्राण पखेरु बन कर निकल ही जाएंगे।

23 Apr 2021 09:30 PM

प्रशांत जी मैं स्वस्थ हूं, रचना व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने के लिए है!आप इस दौर से सफलता पूर्वक बाहर निकल आए हैं आपको शुभकामनाएं!रही बात आपके द्वारा दिए गए उपचार की विधि की तो मैं नियमित रूप से थोड़ा सा व्यायाम कर लेता हूं, और शेष समय अन्य कार्यों में खप जाता है, तो अभी ठीक ही हूं बाकी भविष्य ईश्वराधीन है, आपकी सदाशयता के लिए धन्यवाद,सादर नमस्कार।

23 Apr 2021 09:22 PM

बिल्कुल सही कहा आपने, डर व्यवस्था से ही लग रहा है, बाकी मृत्यु के सच से सब वाकिफ हैं! सादर नमस्कार।

23 Apr 2021 09:19 PM

धन्यवाद रजक जी सादर प्रणाम! वर्तमान व्यवस्था को रेखांकित करने का प्रयास भर है! बाकी ईश्वर की कृपा से मैं ठीक हूं!

आपको सादर प्रणाम, बहुत सुंदर रचना। अभी ऐसे ही हालात हैं,डर सता रहा है।

बहुत अच्छा लिखा है ।
मुझे अभी 13 अप्रैल को कोरोना हुआ और मैं घर पर ही ठीक हो गया ।
मुश्किल है पर हिम्मत ना हारो और जिजीविषा बनाये रखो , सब संतुलित होता जाता है। स्वयम में विस्वास रखो ।
जीना-मरना तो नियम है , जो होना होगा होकर रहेगा वस स्वयं पर विस्वास रखो।
कपाल भाटी और प्राणायाम जरूर करो , ये योग धर्म से ज्यादा शरीर के लिए जरूरी है क्योंकि सामान्य अवस्था मे हम अपने फेंफड़ों में गहराई से सांस नही भरते और प्राणायाम से हम गहरी सांस लेते है और गहराई से कार्बन डाई ऑक्साइड निकालते हैं ,जिससे हमारे शरीर के लिए ज्यादा ऑक्सिजन मिलती है।
और ये सब अपना अपना अनुभव है और कुछ नही ।
फिर भी कहीं ना कहीं तो विस्वास करना ही होगा, भगवान में विस्वास करो उससे ज्यादा अच्छा है स्वयम में विस्वास कर शरीर की इम्म्युनिटी बड़ाई जाय ।
मांफ करना, छोटा मुह बड़ी बात ।

23 Apr 2021 06:38 PM

मौत अटल है टल नहीं सकती।
मौत बेमौत देख अंखियां बहती।
सरकारें जनता से कहती,
फिक्र हमें तो सबकी रहती।।
सच में डर लगता है मौत से नहीं,अव्यवस्थाओ से।।
प्रणाम

23 Apr 2021 06:25 PM

बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका सरकारी तंत्र का हाल देखो जब देश का डाक्टर ही डर गया तो इलाज कैसे करेगा। इसमें जबकि डरने की कोई जरूरत नहीं है। सेवा करते हुए दम निकले इससे ज्यादा अच्छा क्या होगा।वीर गति को प्राप्त होंगे । लेकिन फिर भी डर रहे हैं। जीवन को हमेशा एक योद्धा की तरह जीना चाहिए। धन्यवाद आपका जी

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