Comments (6)
Jaikrishan Uniyal
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1 Jun 2021 12:01 AM
धन्यवाद श्रीमान चतुर्वेदी जी सादर प्रणाम!
Jaikrishan Uniyal
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1 Jun 2021 12:00 AM
धन्यवाद श्रीमान श्याम सुंदर जी!असुद्धि की ओर ध्यान आकर्षित करने में आप सदैव सहायता करते हैं! आपके द्वारा व्यक्त टिप्पणियां मेरे लिए ही नहीं अपितु उन सबके लिए उपयोगी हैं जो लिखने की चेष्ठा में हैं किन्तु असुद्धियों की ओर ध्यान नहीं दे पाते हैं!आपका स्नेह बना रहे!
31 May 2021 08:24 PM
बहुत सुंदर सर नमस्कार
31 May 2021 07:48 PM
वर्षों के न ख्वाब सजाना,आज में ही जीते जाना। न ही कल का कोई ठिकाना। नेह भरे हर पल है बिताना।।
सुंदर भाव आदरणीय उनियाल जी प्रणाम ?????
31 May 2021 05:57 PM
कटु यथार्थ की भावपूर्ण संदेशयुक्त प्रस्तुति !
धन्यवाद !
कृपया त्रुटि सुधारें “श्रृष्टि” के स्थान पर “सृष्टि” !
धन्यवाद श्रीमान व्यासजी! एवं उसमें अपने शब्दों को शामिल करने के लिए आभार!