Jitendra Anand Language: Hindi 150 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read संदलकी छॉहों में दोनोंगा प्यार पले।जितेंद्रकमलआनंद(१०६) गीत -;-------- संदलकी छॉहों मे् दो ों का प्यार पले झर- झर- झर निर्झर - सा मनहर यह गाना है ।। मन ही देवालय हो , मन ही अपनापन हो... Hindi · गीत 271 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read खुशबू बिखर गयी ,धरती निखर गयी:जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट१०४) खुशबू बिखर गयी ( गीत ) ******************* गेंदा , सरसो ,टेसू फूले , खुशबू बिखर गयी । पुष्प झरे जब शुभ स्वागत में , धरती निखर गयी ।। आम्र-- तरुज... Hindi · गीत 291 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read शांत और मुक्त भी मैं ,निर्भय हूँ निराश्रय:: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट१०३) राजयोगमहागीता: घनाक्षरी : अधंयाय२ छंद १८ -------------------------- शांत और मुक्त भी मै , निर्भय हूँ निराश्रय , न ही मोक्षाकांक्षी हूँ , न ही हूँ मैं बंधन में । मैं... Hindi · कविता 459 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read ज्ञान,ज्ञेय,ज्ञाता की नहीं कोई वास्तविकता: जितेंद्रकमलआनंद(पोस्ट ९८/ १०२) घनाक्षरी ----------- ज्ञान, ज्ञेय, ज्ञाता की कोई डासंतविकता, परस्वर असम्बंध ,कियोंकि मैं निरंजन । ज्ञान ,ज्ञेय,ज्ञाता तो अज्ञानियों को भासते हैं । सोचमें विविधता , है बंधन ही बंधन ।... Hindi · कविता 1 339 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read सूर्य अग्रसर उत्तर दिशि में :: जितेंद्रकमलआनंद ( ९७/ १०२) नव्य वर्ष शुभ मंगलमय है ( गीत का शेष भाग ) ********************** साथ राम गंगा , यमुना है, प्रयागराज सुतीर्थ हुआ है । गढ़मुक्तेश्वर , हरिद्वार का नाम कमल उत्कीर्ण... Hindi · गीत 1 569 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read नव्य वर्ष शुभ मंगलमय है ! -- जितेंद्रकमलआनंद ( १०२) नव्य वर्ष शुभ मंगलमय है ! ( गीत ) ********************* सूऋ्य अग्रसर उत्तर दिशि में , नव्य वर्ष शुभ मंगलमय है ।। आशा के पल्लव अधरों पर थिरक रही नव... Hindi · गीत 275 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read आऩंद - अणु से मिलनातुर :: जितेंद्रकमल आनंद( पोस्ट१०१) आनंद ,-- अणु से मिलनातुर ( मुक्त छंद कविता ) -------------------------- सखे ! जिस प्रकार -- बादल अपनापन बूँदों को बूँदें अपनापन नदियों को नदियाँ अपनापन सिंधु को और --... Hindi · कविता 250 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read सृष्टा की यह सृष्टि याकि विश्व की : जितेंद्रकमलआनंद ( १००) घऩाक्षरी :: ------------- सृष्टा की यह सृष्टि याकि विश्व की सृष्टि, वत्स ! झुक जाओ अपने ही चरणॉं में मिट| जाओ| । मेरा दृष्टा , तेरा दृष्टा अलग,-- थलग नहीं... Hindi · कविता 1 285 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read आत्मा से विश्व है, यह विश्व भी मैं :: जितेंद्रकमलआनंद ( पोसंट९९) घनाक्षरी -------------- आत्मा से विश्व है , यह विश्व भी मैं ही हूँ और -- विश्व निराकार यदि मैं भी निराकार हूँ । विश्व यदि निरंतर तो मैं भी तो... Hindi · कविता 388 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read आनंद- पथ पर ,प्रकाश की ओर:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट९६) आनंद - पथ पर ( मुक्त छंद कविता ) -------------------------+----------------- प्रिय आत्मन् ,,! अनगिनत अब बढ़ चले हैं पॉव आनमद - पथ पर/ प्रकाश की ओर कर रही है अनुभव... Hindi · कविता 332 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read वह स्वयं में व्याप्त है ::: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट९५) वह स्वयं में व्याप्त है ( मुक्त छंद कविता ) -------------------------------------- प्रिय आत्मन ! घड़ा तो एक दिन फूटना ही है जल का पूरक , कुम्भक , रेचक, सभी पीछे... Hindi · कविता 401 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read आनंद प्रवाह : यदि तुम अपनी चेतना :: जितेन्द्र कमल आनंद ( ९४) आनंद -- प्रवाह ( छंद मुक्त ) ---------------------------- प्रिय आत्मन ! यदि तुम अपनी समस्त चेतना को कर सकते हो जागृत , एकत्रित , संचित और दे सकते हो तुम... Hindi · कविता 1 302 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read परमब्रह्म सबको चाहता भरपूर हैैैै :: जितेन्द्रकमल आनंद ( ९३) घनाक्षरी छंद ------------------- परमब्रह्म सबको चाहता भरपूर है , उनकी कृपा से होता भक्त सिंधु -- पार है । खोल दो बस खिडकियॉ अपने मकान की , उनका तो खुला... Hindi · कविता 1 425 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read यहॉ - वहॉ , जहॉ- तहॉ सब ही जगह वह: जितेनà¥à¤¦à¥à¤° कमल आनंद ( पोसà¥à¤Ÿà¥¯à¥¨) घनाकà¥à¤·à¤°à¥€ ( पोसà¥à¤Ÿ ९२) ------------------------ यहॉ वहॉ , जहॉ तहॉ , सब ही जगह वह , अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ अंतस में वह विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है । कà¤à¥€ टूटने न पाये विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿... Hindi · कविता 456 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read शाश्वत सुमूल्यों का ग्रहण ::: जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट९०) घनाक्षरी छंद -------------( पोस्ट ९०) शाश्वत सुमूल्यों का ग्रहण सत्प्रवृत्तियों का , मनन भी जीवन में आप नित्य कीजिए । छोड़ना दुराग्रह को , त्याग कुप्रवृत्तियों का , भजन भी... Hindi · कविता 246 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read अध्यात्म के बिना ज्ञान ::: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट८९) घनाक्षरी छंद -------------अध्यात्म के बिना ज्ञान , विज्ञान बिना ज्ञान के, दोनों ही अधूरे हैं, घातक सृष्टिके लिए| । ये आधुनिक विज्ञान और ज्ञान राजयोग , परस्पर विरोधी नहीं ,... Hindi · कविता 234 Share Jitendra Anand 23 Oct 2016 · 1 min read जगी भावना भक्ति,- भाव की ::: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट८६) जगी भावना भक्ति - भाव की फिर से लगन लिए । रचवा दें प्रभु गीत भक्ति के मधुरिम सपन लिए ।। कब से तुझे पुकार रहा है ,यह मन पागल... Hindi · गीत 312 Share Jitendra Anand 23 Oct 2016 · 1 min read कवि का केवल कर्म नहीं हैं ,कविता ::: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट८५) कवि का केवल कर्म नहीं है कविता करना ( गीत ) राष्टृ - सुरक्षा हेतु उसे भी आगे बढ़ना । उठो ! बहा दो , कोटि जनों तक मधुरिम धारा... Hindi · गीत 710 Share Jitendra Anand 23 Oct 2016 · 1 min read देश हमारा भारत सुंदर ::: जितेंद्र कमल आनंद ( पोस्ट ८४) देश हमारा भारत सुंदर| ( गीत ) **************************** अपना यश जो गाता आया , परचम लहराकर , वह है प्यारा देश हमारा भारत यह सुंदर ।। कंचन जंगा , विंध्याचल... Hindi · गीत 512 Share Jitendra Anand 23 Oct 2016 · 1 min read गीत यह वरदान हो ! :::: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट८२) गीत यह वरदान हो ( गीत ) -------------------------- धूपमें भी जो कराये छॉह की अनुभूति को , गीत यह उनको समर्पित , चाहता वरदान हो ! कामनाओं के सजे शत... Hindi · गीत 258 Share Jitendra Anand 23 Oct 2016 · 1 min read खोलो उर के द्वार ,बंद ऑखों को खोलो :: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट८१) गीत; -------खोलो उर के द्वार , बंद ऑखों को खोलो ! िनखिलल विश्व का प्यार , तुमंहारे घर आता है ।। दिखता है अब सूर्य विहग - कुल कलरव करते... Hindi · गीत 569 Share Jitendra Anand 23 Oct 2016 · 1 min read ग्वाल वाल राधिका-- गोपियों से अंतस: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट८०,गीत) कवि के गीत वसंती ऋतु में पवने भी मनमोहित करते ।। ग्वाल - वाल ,राधिका - गोपियों से अंतस आनंदित करते ।। रंग - पर्व , सुकाव्य में , अक्षर... Hindi · गीत 1 337 Share Jitendra Anand 23 Oct 2016 · 1 min read कविकेगीत वसंतीऋतुमें पवने भीमनमोहितकरते( गीत)जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट७९) गीत:: ------ कविके गीत वसंतीऋतुमें पवने भी मन मोहित करते । ग्वाल - वाल ,राधिका - गोपियों से अंतस आनन्दित करते ।। देख सूर्यको दिग्- दिगन्त छायी अरुणायी ! मोहन... Hindi · गीत 275 Share Jitendra Anand 22 Oct 2016 · 1 min read जब से धरती बनी ,प्रकटे तारक चंद्र। जितेंद्र आनंद( पोस्ट ७८) तुम्हारे नाम ( गीत ) --------------------- अस्फुट काव्योद्गार, व्यक्त तुम्हारे नाम ! जबसे धरती बनी , प्रकटे तारक चन्द्र ! जब से गंगा पही, तट घर - घाट अरन्थ्र ।... Hindi · गीत 1 391 Share Jitendra Anand 22 Oct 2016 · 1 min read शिखरिनी ( हाइकू):: जितेंद्रकमलआनंद: जग असार( पो ७७) शिखरिनी छंद ------------------ जग असार किंतु परम ब्रह्म । हैं सारात्सार ।।४!! सर्व विज्ञाता परमब्रह्म ही हैं -- सर्वान्तरात्मा ।।५!! मानव धर्म नैतिकता पूर्ण है -- करना कर्म ।।६ ।।... Hindi · हाइकु 1 1 350 Share Jitendra Anand 22 Oct 2016 · 1 min read शिखरिनी छंद( हाइकू ) जितेंद्रकमलआनंद: गुरु सकाश( पोस्ट७६) शिखरिनी छंद: ------------------ गुरु सकाश ( ध्यान ) करिए प्रात: शाम । पायें प्रकाश ।। १ ।। अक्षराक्षर शिखरिनी छंद है । सत्राहाक्षर ।।२ ।। नहीं अलभ्य परम पुरुष है... Hindi · हाइकु 396 Share Jitendra Anand 21 Oct 2016 · 1 min read भोगमें होगा अहम् तो भोग मिल जायेगा:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट७४) सारात्सार:: छंद घनाक्षरी क्रम ८/२१ राजयोगमहागीता ------------------------ भोग में होगा अहम् तो भोग मिल जायेगा ,मोक्ष में होगा अहम् तो मोक्ष मिल जायेगा । आपको सानंद यह जीवन जीने के... Hindi · कविता 273 Share Jitendra Anand 21 Oct 2016 · 1 min read चाहते न थोपना पर, हम ज्ञान :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट७३) राजयोगमहागीता: घनाक्षरी छंद क्रमॉक७/२१!!सारात्सार-- **********चाहते न थोपना पर, हम ज्ञान इसका, वेद अतिरिक्त भी है, और उसको कहा , होकर समदर्शी जो आत्म- अनुभूति हुई , उसको ही मैं यह... Hindi · कविता 761 Share Jitendra Anand 21 Oct 2016 · 1 min read जीवन व्यक्त हुआ,परमब्ह्म से :: जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट७२) राजयोगमहागीता:: सारात्सार :: घनाक्षरी छंद ६/२१ ****************************** जीवन व्यक्त हुआ परमब्रह्मसे यह , इसको सद्विप्ररूप सार्थक बनाना है । मोक्ष के आकांक्षी ने लक्ष्य परम मोक्ष लिया । संचर- प्रति... Hindi · कविता 273 Share Jitendra Anand 21 Oct 2016 · 1 min read जीवन से जन्म हुआ,जीवन ही तो लक्ष्य है:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट७१) राजयोगमहागीता:: सारात्सार::: घनाक्षरी ५/२१ --------------, जीवनसे जन्म हुआ,जीवनही तो लक्ष्य है जीवनको सत्य शिव सुंदर बनाना है । होकर निर्द्वंद्ध और होकर विदेही - सम राजयोग से ही मन --... Hindi · कविता 1 423 Share Jitendra Anand 21 Oct 2016 · 1 min read अद्वैत है एकात्म,सभी चराचर मात्र ही:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट७०) राजयोगमहागीता: सारात्सार : ब घनाक्षरी ४/२१ ----------------------- अद्वैत है एकात्म, सभी चराचर मात्र ही , परस्पर बद्ध , साक्ष्य स्वरूप साकार हैं । होना चाहिए मुमुक्षु और ज्ञान आग्रही भी,... Hindi · कविता 236 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता: निरंजन निर्पेक्ष हैनिस्पृह स्वयं सिद्ध:: जितेन्द्र कमलआनंद( पो ६९) सारात्सार : घनाक्षरी: ३/२१ ------------------------------- निरंजन निर्पेक्ष है , निस्पृह स्वयं सिद्ध , जान जाता जन्म जात ज्ञान का भण्डार है । वो आत्मविश्वस्त और आत्मकेंद्रित होकर,़ सदा वर्तमान स्वयं... Hindi · कविता 214 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता: आत्मज्ञानपरमसत्य: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट६८) सारात्सार::: घनाक्षरी-२/ २१ ---------------------------- आत्मज्ञान परमसत्य , ग्रंथों में ज्ञान नहीं , अंतर्मन- समाहित ज्ञान उपहार है । उसको या स्वयं को ही पाइए सर्वत्र व्याप्त, निराकार एक वह ही... Hindi · कविता 244 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता:: सारात्सार: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट६७) सारात्सार:: घनाक्षरी क्रमांक १ -----------+-+----------------------- एक ही परमेश्वर है, दूसरा नहीं कहो ! करो ज्ञानयोग को सहज या राजयोग । द्वैत की न भावना रखकर अद्वैत भाव , प्रेम निराकार... Hindi · कविता 260 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता:: गुरु ही हैं धर्म,निष्ठा तप, परमार्थ वह:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट६६) गुरु प्रणाम:::: ( घनाक्षरी ७) -------------------------------------- गुरुही हैं धर्म, निष्ठा, तप, परमार्थ वह -- षट् ऐश्वर्य युक्त गुरु मेर् भगवान हैं । गुरुकी कृपा से अधिक और कुछ भी नहीं... Hindi · कविता 283 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता: गुरुप्रणाम:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट६५) गुरुप्रणाम::: ( घनाक्षरी छंद ६) -------------------------------------- सुख दुख शीत, उष्णादि द्वन्दों से रहित जो-- व्योम के समान , सूक्ष्म , नित्य अविराम हैं । निर्मल अचल और हैं ध्यान गुरु... Hindi · कविता 433 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहगीता: गुरुप्रणाम! जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट६४) गुरुप्रणाम :: घनाक्षरी ::६ ----------------------------- आध्यात्मिक साहित्यिक याज्ञिक और सात्विक कर सकूँ योगदान , ज्ञान हमको दीजिए । होता रहूँ अग्रसर पथ पर निरन्तर , हो कोई समस्या तो निदान... Hindi · कविता 231 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राज योग महागीता: गुरुप्रणाम: ज्ञानकी जो मूर्ति हैं:: जितेन्द्र कमल आनंद: (पोस्ट६३( गुरु प्रणाम ::: घनाक्षरी ------------------------ ज्ञानकी जो मूर्ति हैं , श्री श्री आनंद के जो धाम हैं , हैं करते अपना नहीं कभी भी सुप्रचार जो । चाहता अहेतुकी ही... Hindi · कविता 250 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता:: गुरुप्रणाम:: मेरेतो परमात्मा : जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट६२) गुरु प्रणाम:: घनाक्षरी --------------------------- मेरे तो परमात्मा ही सद्गुरु परब्रह्म जिससे होना है मुझे सागर के पार है । ' एकमेवपरब्रह्म' कहकर गुरुवर , कराते हैं विदित उसे जो सारात्सार... Hindi · कविता 342 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read नित्य ही आनंदके जो दाता ज्ञानके परम:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ६१) गुरु प्रणाम :: ( घनाक्षरी ) --------------------- नित्य ही आनंदके जो दाता ज्ञानके परम विश्व से विराट विभु व्यापक समान हैं । नित्य ही विमल और अचलउज्ज्वल शुभ्र , जो... Hindi · कविता 1 321 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read गुरु प्रणाम ::: जितेन्द्र कमल आनंद ::घनाक्षरी ( पोस्ट६०) ऊँ सद्गुरु परमात्मने नमः अखण्ड मण्डल में जो व्याप्त हैं साकार हुए प्रेम की जोमूर्ति हैं , दिव्य जिनके नाम हैं । अज्ञान के तिमिरांध में हैं ज्ञान की श्लाका... Hindi · कविता 304 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता:: ध्यान निराकार से तो सुगम साकारकर: जितेन्द्र कमलआनंद( पोस्ट५९) प्रभु प्रणाम ------------- ध्यान निराकार से तो सुगम साकार कर , ह्रदय में सुभावना मोक्ष की जगाइए । देवकी के वत्स , मॉ यशोदा के दुलारे रहे, कृष्णकी सद्भावना ,... Hindi · कविता 255 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता: गोकुलका धामप्यारा, नारायण- सतनाम: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट५८) घनाक्षरी::: ----------गोकुल का धाम प्यारा , नारायण सतनाम जिनका सच्चिदानंद घन नाम प्यारा है । चिन्मय कमल कर्णिका में जो निवास करें , परम पुरुष उन्हें वेदों ने उच्चारा है... Hindi · कविता 391 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read सारंगों के नयन आज फिर भर आये:: जितेंद्रकमल आनंद( गीत)पोस्ट५३ गीत ::: सारंगों के नयन आज फिर भर अाये ---- अपने ही पग देख धरा के आँगन में - सारंगों के नयन आज फिर भर आये ।। कुम्हलायी कलियों की... Hindi · गीत 269 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहगीता: गोविंद भी नाम जिनका है गोवर्धनधारी: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट५४)घनाक्षरी घनाक्षरी : प्रभु प्रणाम ३ ------------,गोविंद भी नाम जिनका है गोवर्धनधारी , नित्यरूप, नित्यगुण, नित्य- लीलाधाम हैं । सभीके हैं मूल उत्स , परम आनंद हैं जो , कारणों के... Hindi · कविता 512 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता: वासुदेव,केशवकीमाधवकीमोहिनीसी:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट५३) घनाक्षरी प्रभु प्रणाम: घनाक्षरी - २ ---------------------------- वासुदेव, केशव की, माधव की मोहिनी - सी , मोहती जो मोहन की छवि अति प्यारी है । अजर, अव्यग्र, अज, देवकी के वत्स... Hindi · कविता 482 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता" ओंकार,अघनाशक,परमआनंदहैंजो( घनाक्षरी, पोस्ट५२- जितेन्द्र कमल आनंद प्रभु प्रणाम ------------- ओंकार, अघनाशक,परम आनंद हैं जो, क्यों न करें भक्त यशगान आठों याम ही । देख - देख प्रभु प्रेम मूर्ति की सौंदर्य राशि , करते मधुप रस... Hindi · कविता 1 1 271 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read समय बदलते सूखी धरती मुस्काती:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट ५१) मुक्तक समय बदलते सूखी धरती मुस्काती जैसे बाला । नयी नवेली ओढ़ चुनरिया मदमाती जैसे बाला । सृष्टि -- चक्र का घूर्णन निश्चित सुखद समय भी लाता यों नवल प्रकृति... Hindi · मुक्तक 1 369 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read समझा है कभी नारी नज़ाकत को क्या-- जितेन्द्र कमल आनंद ( ५३) रुबाई ::: ---------- समझा है कभी नारी नज़ाकत को क्या । समझा है कभी फौज़ी शहादत को क्या । ये सृजन , वो सुरक्षा ही किया करते हैं । समझा... Hindi · मुक्तक 1 343 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read ये फोज़ी हर बार लड़ा करते हैं-- जितेन्द्र कमल आनंद ( ५१) रुबाई :: ----------- ये फौज़ी हर बार लड़ा करते हैं । हथियारों पर धार धरा करते हैं । कब करते परवाह ' कमल ' जीवन की। ये वीर गति को... Hindi · मुक्तक 1 445 Share Previous Page 2 Next