अद्वैत है एकात्म,सभी चराचर मात्र ही:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट७०)
राजयोगमहागीता: सारात्सार : ब घनाक्षरी ४/२१
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अद्वैत है एकात्म, सभी चराचर मात्र ही ,
परस्पर बद्ध , साक्ष्य स्वरूप साकार हैं ।
होना चाहिए मुमुक्षु और ज्ञान आग्रही भी,
ऐसे को ही सद्ज्ञान पाने का अधिकार है ।
सबका निर्माता और पालक परमेश्वर ,
जगत नियंता यह प्रकृति श्रंगार| है ।
इन्द्रियजित होकर न प्राप्य की इच्छा करे ,
अप्राप्त अप्राप्य पर, प्राप्य निराकार है ।।४/ २१!!
——- जितेंद्रकमलआनंद