घड़ी देखता, वक्त हो गया

घड़ी देखता, वक्त हो गया
फिर खिड़कियों को परेशान कर
उस दूर चौखट को तांकता जहाँ एक जन्नत बसी थीं
फिर गलियों से कहता उसे बुलाने को
वो आती शीत लहर-सी,चौखट उससे बतियाती
फिर कृष्ण राधा में और राधा कृष्ण में डुब जाती
~जितेन्द्र कुमार “सरकार”